April 24, 2024

आज सुप्रीम कोर्ट में पत्थरबाजों और ताजमहल संरक्षण सहित कई मामलों पर सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को प्रमुख मुद्दों पर बहस होने वाली है। इनमें शोपियां फायरिंग, मणिपुर फर्जी एनकाउंटर, नोएडा सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट मामला और जम्मू कश्मीर के पत्थरबाजों का मुकदमा वापस लेने जैसे मुद्दे शामिल हैं। साथ ही कोर्ट ये भी बताएगा कि ताजमहल संरक्षण के लिए कौन जिम्मेदार है। सुनवाई के लिए जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ बैठेगी।

ताजमहल संरक्षण मामला

कोर्ट में केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार बताएगी कि ताजमहल के संरक्षण के लिए किस विभाग का कौन सा अधिकारी जिम्मेदार है। बता दें पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल के संरक्षण को लेकर बेहद नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने दोनों सरकारों से कहा था कि वह उन्हें अगली सुनवाई वाले दिन यानि 30 अगस्त को बताएं कि ताजमहल संरक्षण के लिए कौन सा विभाग जिम्मेदार है। इनमें केंद्र सरकार, राज्य सरकार, पुरातत्व विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जैसे नाम शामिल हैं। कोर्ट का मानना है कि किसी न किसी विभाग को तो ताजमहल के प्रदूषण नियंत्रण की जिम्मेदारी लेनी होगी। लोकिन सभी विभाग ऐसा करने से पल्ला झाड़ रहे हैं। जो कि सही नहीं है।

शोपिया फायरिंग मामला

इस मामले की सुनवाई भी आज सुप्रीम कोर्ट में होगी। इसमें कोर्ट यह तय करेगा कि सेना के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से पहले केंद्र की इजाजत जरूरी है या नहीं। मामले में कोर्ट एफएसए की धारा सात के तहत इस बात की पुष्टि करेगा। इसमें जम्मू कश्मीर सरकार और केंद्र सरकार ने अपनी अलग अलग राय रखी थी। एक तरफ केंद्र सरकार का कहना है कि राज्य को सेना के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का कोई अधिकार नहीं है और मेजर आदित्य और अन्य सैनिकों के खिलाफ एफआईआर पर जांच पर रोक लगी रहेगी। वहीं दूसरी तरफ जम्मू कश्मीर सरकार का कहना है कि एफआईआर पर जांच अनिश्चितकाल तक रोकी नहीं जा सकती है।

खतना प्रथा की याचिकाओं पर सुनवाई

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय की नाबालिग लड़कियों के खथना करने के खिलाफ डाली गई याचिकाओं पर भी सुनवाई करेगा। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इस प्रथा को बेहद गलत बताते हुए कहा था कि यह धर्म के नाम पर महलाओं के सम्मान के साथ किया जाने वाला खिलवाड़ है। कोई भी किसी के निजी अंगों को छू नहीं सकता और न ही उन्हें काट सकता है।
इस प्रथा का केंद्र सरकार ने भी साफ तौर पर विरोध किया और इसे खत्म करने के लिए अपना पूरा समर्थन देने की बात कही थी। साथ ही केंद्र ने ये भी कहा था कि इस मामले में दंड विधान में सात साल तक की सजा का प्रावधान है। बता दें यह प्रथा बोहरा समाज में आम रिवाज के रूप में प्रचलित है। कोर्ट ने इस प्रथा पर रोक लगाने वाली याचिकाओं पर तेलंगाना और केरल सरकार को नोटिस भी जारी किया था।

पत्थरबाजों का मुकदमा

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को इस अहम मुद्दे पर भी सुनवाई होगी। जम्मू कश्मीर में पत्थरबाजों से मुकदमा वापस लेने के मामले में दाखिल याचिकाओं के खिलाफ जनहित याचिकाएं दाखिल की गई हैं। इनमें राज्य सरकार के फैसले को भी चुनौती दी गई है। इनमें सेना के लोगों पर एफआईआर दर्ज करने के मामलों को भी उठाया गया है।

डीजीपी मामला

कोर्ट में आज एक्टिंग डीजीपी मामले पर भी सुनवाई होनी है। पिछली सुनाई में कोर्ट ने राज्य व केंद्र सरकार से कहीं पर भी एक्टिंग डीजीपी नियुक्त न करने को कहा था। कोर्ट ने कहा था कि ऐसा करना सुप्रीम कोर्ट का उल्लंघन माना जाएगा।


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