April 26, 2024

विवादों में घिरे श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के कुलसचिव

श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा. दीपक भट्ट एक बार फिर विवादों से घिरे हैं। इस बार डा. दीपक भट्ट पर शिक्षिकाओं से छेड़छाड़ और रिश्वत लेने का आरोप लगा है। दीपक भट्ट पहले भी विवादों में रहे। विश्वविद्यालय में उनकी नियुक्ति को लेकर सवाल उठाये गये कि वह कुलसचिव पद के लिए जरूरी योग्यता नहीं रखते हैं। कुलसचिव की लगातार मिल रही शिकायतों पर इस बार राजभवन ने भी भृकुटी तान दी है। विश्वविद्यालय की कुलाधिपति और राज्यपाल श्रीमती बेबी रानी मौर्य ने इस संदर्भ में उच्च स्तारीय जांच की सिफारिश कर विश्वविद्यालय को सात दिनों के भीतर कुलसचिव की नियुक्ति और उनके कार्यों की विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।

दीपक तले विवाद

श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा. दीपक भट्ट पर हरिद्वार स्थित हिमगिरी महाविद्यालय में छात्राओं, शिक्षिकाओं और महिला कर्मचारी के साथ अभद्र व्यवहार करने का अरोप लगा है। दरअसल इन दिनों विश्वविद्यालय की मुख्य परीक्षाएं संचालित की जा रही है। परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा उड़न दस्तों का गठन किया गया है। जिसमें एक महिला सदस्य होनी जरूरी है। लेकिन विश्वविद्यालय के कुलसचिव ने स्वयं नियमों को ताक पर रख बिना किसी अनुमति के महाविद्यालयों का निरीक्षण किया। इस दौरान डा. भट्ट के साथ कोई महिला सदस्य नहीं होने के बावजूद भी महाविद्यालयों का निरीक्षण किया। जो कि सरासर विश्वविद्यालय के नियमों के विपरीत है।

कुलसचिव का कारनामा

मंगलौर पुलिस के अनुसार हिमगिरी महाविद्यालय की अध्यक्ष कुलदीप कौशिक द्वारा श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा. दीपक भट्ट के खिलाफ तहरीर दी। पुलिस के मुताबिक कुलसचिव पर गंभीर आरोप लगाये गये हैं। महाविद्यालय की अध्यक्ष कुलदीप कौशिक द्वारा पुलिस को बताया कि 8 जनवरी 2019 को महाविद्यालय में बी.काॅम और बी.एस.सी की परीक्षाओं का संचालन किया जा रहा था। इस दौरान सुबह 9 बजकर 30 मिनट पर श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा. दीपक भट्ट और एक अन्य सदस्य के साथ परीक्षा केंद्र में पहुंचे। इस दौरान डा. भट्ट ने कुलसचिव पद की हनक दिखाते हुए नकल के नाम पर परीक्षा कक्ष में छात्राओं की तलाशी ली। कुलसचिव को जब कोई सफलता हाथ नहीं लगी तो उन्होंने कक्ष निरीक्षक महिला शिक्षिकाओं और महिला सफाई कर्मी से शाॅल उतारने को कहा। जिस पर शिक्षिकाओं ने एतराज जताया। इस बात से गुस्साए कुलसचिव ने महाविद्यालय के खिलाफ कार्यवाही करने की धमकी दी। इस दौरान कुलसचिव द्वारा अभद्र भाषा का प्रयोग कर बाहर रखी पठन सामाग्री को उठाकर बी.काॅम की एक छात्रा के टेबल पर रखकर फोटो खिंची। वहीं लिखित शिकायत में काॅलेज की अध्यक्षा ने आरोप लगाया है कि कुलसचिव ने उनसे परीक्षा केंद्र को यथावत रखने के लिए मोटी रकम की डिमांड की। जिसका विरोध करने पर कुलसचिव ने अपने पद और अधिकार का दुरपयोग कर विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक को फोन कर महाविद्यालय का परीक्षा केंद्र बदलने का आदेश दिया। वहीं मंगलौर कोतवाली प्रभारी गिरीश चंद्र शर्मा का कहना है कि तहरीर के आधार पर मामले की जांच की जा रही है। एस.आई. लोकपाल सिंह को जांच सौंपी गई। जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्यवाही की जायेगी।


डा. दीपक भट्ट , कुलसचिव

क्या है परीक्षा केंद्र बदलने का नियम

श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के प्रावधानों में परीक्षा केंद्र बदलने के लिए एकेडमिक काॅउंसिल को अधिकृत किया गया है। विषम परिस्थितियों में अगर एकेडमिक काउंसिल की बैठक नहीं हो पाती है तो विश्वविद्यालय के कुलपति को परीक्षा केंद्र बदलने का अधिकार है। चूंकि कुलपति एकेडमिक काउंसिल के अध्यक्ष होते हैं। लेकिन उक्त प्रकरण में यह प्रक्रिया नहीं अपनाई गई।

उक्त प्रकरण पर क्या कहते हैं अधिकारी

मामाला मेरे संज्ञान में आया है। उक्त प्रकरण की जांच की जायेगी। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि जो आरोप शिक्षण संस्थान की ओर से लगाये गये हैं उनमें कितनी सच्चाई है। वर्तमान में परीक्षा गतिमान है। इसलिए लिए किसी तरह की परेशानी न हो लिहाजा विश्वविद्यालय द्वारा जांच समिति का गठन किया गया है। 
डा. यू.एस. रावत, कुलपति, श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय

आप के माध्यम से मामला संज्ञान में आया है। पुलिस जांच के बाद ही स्थिति का सही आकलन किया जा सकता है। जहां तक ​​जांच टीम के व्यवहार की बात है तो यह है कि हर एक टीम के साथ महिला कर्मचारियों और अधिकारियों की तैनाती की जाती है। इस मामले में विवि से भी संर्पक किया जाएगा। घटना की शुद्धता जांच के लिए पूरा प्रयास किया जाएगा। 

डा. रणवीर सिंह, अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा

राज्यपाल से फरियाद

डा. दीपक भट्ट ने श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय का कुलसचिव बनते ही प्राइवेट काॅलेजों पर शिकंजा कसना शुरू किया। कुलसचिव ने परीक्षा केंद्रों को बदलने के नाम पर काॅलेजों से मनमानी करनी शुरू की। जिसको लेकर देहरादून-हरिद्वार के प्राइवेट काॅलेजों ने विश्वविद्यालय की कुलाधिपति और राज्यपाल श्रीमती बेबी रानी मौर्य को गोपनीय शिकायती पत्र प्रेषित कर मामले की जांच करने की अपील की। उक्त शिकायती पत्र में कुलसचिव दीपक भट्ट पर आरोप लगाया गया है कि वह स्वयं को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत और उच्च शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत का आदमी बता कर पैसा के लिए दबाव बनाता है। इतना ही नहीं कुलसचिव बनते ही डा.भट्ट द्वारा देहरादून में प्राइवेट काॅलेजों की एक बैठक बुलाई। जिसमें काॅलेज वालों को काॅलेज बंद करने की धमकी दी गई। कुलसचिव द्वारा मुख्यमंत्री और उच्च शिक्षा मंत्री को पैसा पहुंचाने की बात भी शिकायती पत्र में की गई है। कुलसचिव के रवैये और पद के दुरपयोग से प्राइवेट संस्थानों ने तंग आ कर राज्यपाल से कुलसचिव के खिलाफ जांच की मांग की।
उक्त शिकायती पत्र का संज्ञान लेते हुए राजभवन द्वारा विश्वविद्यालय को जांच करने के निर्देश दिये। उक्त प्रकरण में विश्वविद्यालय की ओर से कुलसचिव डा. दीपक भट्ट से स्पष्टीकरण मांगा गया। लेकिन कुलसचिव द्वारा कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया। जिस पर पुनः राजभवन द्वारा विश्वविद्यालय को सात दिनों के भीतर जांच आख्या प्रस्तुत करने के निर्देश दिये गये।

नियम विरूद्ध हुई नियुक्ति

श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय में कुलसचिव पद पर डा. दीपक भट्ट की नियुक्ति विवादों में रही। दरअसल 19 जनवरी 2018 को विश्वविद्यालय द्वारा कुलसचिव पद के लिए विज्ञप्ति जारी की गई। जिसमें कुल सचिव पद के लिए अर्हता और शर्ते का उल्लेख किया गया था। उक्त पद को प्रतिनियुक्त के आधार पर भरा जाना था। प्रतिनियुक्ति के लिए 6600 ग्रेड पे पाने का प्रावधान भी विज्ञप्ति में स्पष्ट किया था। लेकिन विज्ञापित योग्यताओं के अनुरूप वरियता उन आवेदकों को दी जानी थी जो विश्वविद्यालय का प्रशासनिक अनुभव रखता हो और सहायक उप कुल सचिव के पद पर सेवा दे चुका हो। लेकिन चयन समिति द्वारा अनुभवधारी आवेदकों को दरकिनार कर अशासकीय महाविद्यालय के ऐसे शिक्षक को कुलसचिव पद पर नियुक्ति दी गई जो कतई प्रशासनिक अनुभव नही रखता था। इतना ही नहीं नियुक्ति समिति ने कुल सचिव पद के लिए अनिवार्य 15 वर्ष के अनुभव को भी दरकिनार कर 2009 में अशासकीय महाविद्यालय में कार्ययोजित शिक्षक डा. दीपक भट्ट को कुलसचिव पद पर नियुक्ति दे डाली। जबकि डा. दीपक भट्ट के कुल सचिव बनने में प्रबंध समिति की नियमावली भी आड़े आ रही थी। जिसमें स्पष्ट प्रावधान है कि अशासकीय प्रबंधन समिति नियमावली के तहत प्रथम नियोक्ता प्रबंधन है। ऐसे में उसका कर्मचारी समिति के अंतर्गत आता है। जिसे सरकार सीधे तौर पर कार्ययोजित नहीं कर सकती। कुलसचिव डा. दीपक भट्ट की नियुक्ति नियम विरूद्ध किये जाने के पीछे उनकी एक पार्टी विशेष से नाता बताया गया। इतना ही नहीं डा. दीपक भट्ट की प्रतिनियुक्ति में सत्ता के शीर्ष पर भी आरोप लगे।


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