1. मौजूदा वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था की विकास दर पहले के अनुमान 6.5 फीसदी से ज्यादा 6.75 फीसदी रहने की संभावना है। इस दौरान कृषि प्रधान प्राथमिक क्षेत्र में 2.1, औद्योगिक क्षेत्र में 4.4 और सेवा क्षेत्र में 8.3 फीसदी की वृद्धि होने का अनुमान लगाया गया है। वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान इस दर के सात से 7.5 फीसदी के बीच रहने का अंदाजा लगाया गया है।

2. आर्थिक समीक्षा में महंगाई और राजकोषीय घाटे का अनुमान भी लगाया गया है। अंदाजा लगाया गया है कि 2017 में महंगाई का औसत पिछले छह साल में सबसे कम (3.33 फीसदी) रह सकता है। 2016 में यह 4.56 फीसदी था. उधर मौजूदा वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे के 3.2 फीसदी के आसपास बने रहने की संभावना जताई गई है। अगले साल इसके तीन फीसदी हो जाने का अनुमान लगाया गया है।

3. इस बार की आर्थिक समीक्षा में पहली बार राज्यों के अंतरराष्ट्रीय निर्यात के आंकड़े को शामिल किया गया है। इन आंकड़ों के विश्लेषण से पाया गया कि जो राज्य जितना ज्यादा निर्यात करते हैं उनके नागरिकों का जीवन स्तर उतना ही बेहतर होता है। यही बात राज्यों के बीच होने वाले व्यापार पर भी लागू होती है।

4. दूसरे देशों की तुलना में भारत में निर्यात में बड़ी कंपनियों की हिस्सेदारी अपेक्षाकृत कम पाई गई है। निर्यात में शीर्ष एक प्रतिशत भारतीय कंपनियों की हिस्सेदारी केवल 38 फीसदी पाई गई है। इसके विपरीत ब्राजील, जर्मनी, मैक्सिको और अमेरिका में यह हिस्सेदारी क्रमश: 72, 68, 67 और 55 फीसदी है।

5. संगठित क्षेत्रों मसलन गैर-कृषि औपचारिक क्षेत्र में नौकरी करने वालों की संख्या अनुमान से ज्यादा है। ईपीएफ और ईएसआईसी में पंजीकरण को यदि रोजगार की औपचारिकता मान लिया जाए तो औपचारिक क्षेत्र में गैर-कृषि श्रम बल का 31 फीसदी कार्यरत है। वहीं जीएसटी में पंजीकृत इकाइयों को यदि औपचारिक रोजगार माना जाए तो अर्थव्यवस्था में 53 फीसदी लोग औपचारिक क्षेत्र में कार्यरत पाए गए हैं।

6. श्रम कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन के साथ अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के लिए समीक्षा में तकनीकी का उपयोग बढ़ाने की वकालत की गई है। इसमें बताया गया है कि सरकार ने श्रम सुविधा पोर्टल, सार्वभौमिक खाता संख्या और नेशनल करिअर सर्विस पोर्टल जैसे बदलाव लाने वाले कई तकनीकी उपायों को शुरू किया है।

7. आर्थिक समीक्षा में सिफारिश की गई है कि ‘ईज आॅफ डूइंग बिजनेस’ की रैंकिंग सुधारने के लिए कंपनियों से संबंधित लंबित मुकदमे कम करने चाहिए। इसके लिए सरकार और न्यायपालिका के मिले-जुले प्रयासों की जरूरत है।

8. इस दस्तावेज में कहा गया है कि हमारे देश में कर विभाग को उनके मुकदमों में केवल 30 फीसदी सफलता मिलती है। दूसरी ओर छोटे-छोटे मूल्य के मामलों की तादाद बड़े मामलों की तुलना में कई गुना ज्यादा है। हमारे देश में लगभग दो तिहाई मामले केवल दो फीसदी राशि के दावे के लिए चलाए जा रहे हैं। वहीं 0.2 फीसदी बड़े मुकदमों में 56 फीसदी राशि का दावा लंबित पाया गया है।

9. देश के 296 जिले और 3.07 लाख गांव अब खुले में शौच से मुक्त यानी ओडीएफ घोषित कर दिए गए हैं। आर्थिक समीक्षा के अनुसार स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता का आंकड़ा 39 फीसदी से बढ़कर जनवरी 2018 में 76 फीसदी हो गया है। इसके मुताबिक 2014 में खुले में शौच जाने वाले लोगों की संख्या 55 करोड़ थी जो आधे से कम यानी 25 करोड़ रह गई है।

10. समीक्षा में दिखाया गया है कि तापमान में ज्यादा वृद्धि का बारिश में कमी से सीधा संबंध होता है। इससे कृषि उपज में कमी होने से आय में एक चौथाई तक की कमी होने की आशंका जताई गई है। इससे बचने के लिए सिंचाई में भारी सुधार, नई प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल और बिजली व उर्वरक सब्सिडी को और बेहतर ढंग से पहुंचाने का सुझाव दिया गया है। कृषि के राज्य सूची का विषय होने के चलते इसकी समस्याएं दूर करने के लिए जीएसटी परिषद जैसी संस्था के गठन की सिफारिश की गई है।