April 23, 2024

तीन तलाक दिया तो हो सकती है 3 साल की जेल , तलाक पर रोक के लिए बिल लाने की तैयारी

नई दिल्ली। केंद्र सरकार तीन तलाक पर रोक के लिए बिल लाने की तैयारी कर रही है। सूत्रों के मुताबिक, बिल का ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है। फिलहाल, इसे राज्यों को भेजा गया है और इस पर जल्द जवाब मांगा गया है। मसौदे के तहत एक बार में तीन तलाक देने पर पीड़ित के पति को तीन साल जेल हो सकती है। उसे महिला और उसके नाबालिग बच्चों को हर्जाना देना होगा। ये गैरजमानती अपराध होगा। बिल को ‘मुस्लिम वुमन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज बिल’ नाम दिया गया है।ज्ञात हो कि अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल तलाक को गैरकानूनी करार दिया था। इसके बाद भी देश में ट्रिपल तलाक से जुड़े कुछ मामले सामने आए थे। सरकार की तरफ से कहा गया था वो तीन तलाक पर रोक लगाने के लिए नया कानून ला सकती है।

प्रस्तावित कानून जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू किया जाएगा। जम्मू-कश्मीर में कानूनी व्यवस्थाएं अलग हैं। इस बिल का ड्राफ्ट यूनियन कैबिनेट मिनिस्टर्स की एक कमेटी ने तैयार किया है। राजनाथ सिंह इसके हेड हैं। उनके अलावा सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, रविशंकर प्रसाद और उनके जूनियर पीपी. चौधरी कमेटी में हैं।

मसौदे के मुताबिक सिर्फ एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को ही शामिल किया गया है। अगर किसी मुस्लिम महिला को एक बार में तीन तलाक दिया जाता है तो वो मजिस्ट्रेट के सामने इसके खिलाफ अपील और हर्जाने की मांग कर सकती है। हर्जाना पीड़ित और उसके नाबालिग बच्चों के लिए होगा। इसके अलावा महिला अपने नाबालिग बच्चों की कस्टडी भी मांग सकती है। आखिरी फैसला मामले की सुनवाई करने वाला मजिस्ट्रेट ही करेगा। एक बार में तीन तलाक या तलाक-ए-बिद्दत किसी भी रूप में गैरकानूनी ही होगा। बोलकर या  वॉट्सएेप, ईमेल, एसएमएस के जरिए भी एक बार में तीन तलाक गैरकानूनी ही होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल तलाक को गैरकानूनी करार दिया था। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पहले 177 (2017 में) और फैसले के बाद 66 मामले सामने आए। सबसे ज्यादा केस यूपी से हैं। पीएमओ के पास कई महिलाओं की शिकायतें आ रहीं हैं इसलिए, सरकार को इस पर कानून लाना पड़ रहा है।

ट्रिपल तलाक से जुड़ा कानून पार्लियामेंट के विंटर सेशन में लाया जा सकता है। फिलहाल, यह राज्यों को भेजा गया है और उनसे इस पर जल्द से जल्द जवाब और राय मांगी गई है।केंद्र को राज्य सरकारों के जवाब का इंतजार है। इनके जवाब मिलने के बाद बिल को कैबिनेट के सामने पेश किया जाएगा। कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद ही इसे पार्लियामेंट के विंटर सेशन में पेश किया जाएगा।

दिक्कत ये है कि कानून ना होने की वजह से पुलिस भी ट्रिपल तलाक के मामले में विक्टिम की मदद नहीं कर पाती और आरोपी भी बच जाता है।

 


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