April 18, 2024

बहुत जल्द हकीकत होगा एचआईवी का टीका

विशेषज्ञ एचआईवी संक्रमण से निपटने का तरीका ईजाद करने के बेहद करीब हैं। अमेरिका के अटलांटा स्थित इमोरी यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के विशेषज्ञों ने दावा किया है कि बहुत जल्द एचआईवी संक्रमण रोकने का टीका हकीकत बन जाएगा। शोधकर्ताओं का कहना है कि ट्रेग कोशिकाएं एचआईवी संक्रमित गर्भवती महिला से उसके भ्रूण में संक्रमण फैलने से रोकती हैं। यह कोशिकाएं एक तरह की रेगुलेटरी लिंफोसाइट होते हैं।

प्रमुख शोधकर्ता पीटर केसलर का कहना है कि गर्भ में पल रहे भ्रूण में एचआईवी संक्रमण रोकने की वजह का पता लगना बड़ी उपलब्धी है। इससे उन तरीकों को ईजाद करने में आसानी होगी, जिससे प्रतिरोधक क्षमता को प्राकृतिक तौर पर मजबूत बनाने का रास्ता तलाशने में मदद मिलेगी।

वैज्ञानिक काफी समय से इस बात से हैरान थे कि एचआईवी संक्रमित मां से जन्म लेने वाले शिशुओं के संक्रमित होने की दर काफी कम है। आज की तारीख में एंटीरेट्रोवायरल दवाओं की मदद से एचआईवी संक्रमण को सफलतापूर्वक काबू किया जा सकता है। हालांकि संक्रमित शख्स को आजीवन इन दवाओं का सेवन करना होता है। संक्रमण से बचना बेहद जरूरी है, मगर इसके लिए अभी तक कोई दवा या टीका उपलब्ध नहीं है।

शोधकर्ताओं ने देखा कि एचआईवी संक्रमित मां से जन्म लेने वाले संक्रमण रहित नवजात के खून में ट्रेग लिंफोसाइट का स्तर अधिक था। इसके विपरीत संक्रमित मां से जन्म लेने वाले संक्रमित शिशुओं ने यह स्तर कम था। लिंफोसाइट प्रतिरोधक तंत्र की वह कोशिकाएं होती हैं, जो शरीर को बैक्टीरिया और वायरस से बचाती हैं। ट्रेग सेल्स या रेगुलेटरी टी सेल्स इम्यून सिस्टम के अपने नियंत्रण का तरीका हैं, जो प्रतिरोधक तंत्र में गंभीर रिएक्शन होने से रोकता है और जिससे ऊतकों को नुकसान हो सकता है।

अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने 64 शिशुओं के खून की जांच की, जो एचआईवी संक्रमण से मुक्त थे। उन्होंने एचआईवी संक्रमण के साथ जन्म लेने 28 अन्य शिशुओं के खून की भी जांच की। उन्होंने देखा कि संक्रमण रहित शिशुओं में ट्रेग सेल्स की संख्या अधिक थी। इसके मुकाबले एचआईवी संक्रमित शिशुओं में अन्य लिंफोसाइट के प्रकार सक्रिय और काफी अधिक थे।

विशेषज्ञों का कहना है कि एचआईवी वायरस सिर्फ सक्रिय कोशिकाओं को संक्रमित करता है। इसलिए ट्रेग सेल्स अन्य लिंफोसाइट्स को सक्रिय होने से रोककर एचआईवी संक्रमण से बचाया जा सकता है। इस शोध को अमेरिकन सोसाइटी फॉर माईक्रोबायोलॉजी (एएसएम माईक्रोब) की सालाना बैठक में पेश किया गया था।


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