March 28, 2024

आंदोलन पर आमादा कर्मचारियों की लंबित मांगों से उत्तराखंड सरकार की परेशानी बढ़ी

आंदोलन पर आमादा कर्मचारियों की लंबित मांगों से उत्तराखंड सरकार की पेशानी पर बल हैं। उनकी सभी मांगें पूरी करने के लिए खर्च का जो मोटा आकलन लगाया गया है, वह दो से ढाई हजार करोड़ रुपये से अधिक है। हालांकि कर्मचारी नेता सरकार के वित्त प्रबंधन से जुड़े आलाधिकारियों के इस तर्क से सहमत नहीं हैं। लेकिन सरकार की ओर से राजकोष पर वेतन के निरंतर बढ़ते खर्च और आय के सीमित संसाधनों की दुहाई दी जा रही है।

यह प्रदेश सरकार की चिंता को साफ जाहिर कर रहा है। मंगलवार को मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारियों की बैठक में जिस अंदाज में कर्मचारियों से सहयोग की अपील की, उससे जाहिर हो गया कि सरकार उनकी सारी की सारी मांगों को एक झटके में पूरा करने में समर्थ नहीं है। जहां तक प्रदेश सरकार की माली हालत का मसला है, तो आमदनी और खर्च के आंकड़े आदर्श स्थिति में नहीं हैं। सरकार जितना कमा रही है, उससे ज्यादा खर्च कर रही है। खर्च का बड़ा हिस्सा कर्मचारियों के वेतन, भत्तों और ब्याज की अदायगी पर जा रहा है। नतीजा यह है कि विकास योजनाओं के लिए सरकार के पास बेहद सीमित धनराशि है। वर्ष 2006-07 से लेकर वर्तमान तक सत्तारूढ़ रही कांग्रेस और भाजपा की सरकार में आमदनी और खर्च में कोई खास अंतर नहीं रहा है। आमदनी बढ़ने के साथ खर्च भी बढ़ा है।

उत्तराखंड सीमित संसाधन, आपदा संभावित और वन प्रदेश होने के बावजूद देश का आदर्श नियोक्ता राज्य है। कई अन्य राज्यों में अभी भी छठा वेतनमान नहीं मिला है। सरकार के लिए कर्मचारी हित सर्वोपरि हैं। साथ ही प्रदेश के लोगों को बेहतर सुविधा देने के लिए संकल्पबद्ध है। इसके लिए हमें मिलकर कार्य करना होगा।
– उत्पल कुमार सिंह, मुख्य सचिव

सरकार गठन के पहले दिन से ही हमारा फोकस आमदनी बढ़ाने पर है। सीमित संसाधनों के बावजूद हम आय बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। संसाधनों के नियंत्रित दोहन के साथ हमारा जोर अनुत्पादक खर्चों को सीमित करने पर भी है। कर्मचारी हित सरकार के लिए सर्वोपरि है। जैसे-जैसे सरकार के संसाधन बढ़ेंगे, स्वाभाविक तौर पर कर्मचारियों को भी इसका लाभ मिलेगा।
– प्रकाश पंत, वित्त मंत्री

आंकड़ों में प्रदेश सरकार का अर्थशास्त्र
सरकार की कमाई 

7373 करोड़ रुपये थी वर्ष 2006-07 में
13,691 करोड़ रुपये पहुंची वर्ष 2011-12 में
30,390 करोड़ रुपये तक पहुंची वर्ष 2016-17 में
33,827 करोड़ की आय हुई वर्ष 2017-18 में

वेतन खर्च में बढ़ोतरी
2271 करोड़ रुपये था वर्ष 2006-07 में
5780 करोड़ तक पहुंचा वर्ष 2011-12 में
8685 करोड़ तक बढ़ गया वर्ष 2016-17 में
10916 करोड़ तक पहुंचा वर्ष 2017-18 में

विकास कार्यों पर खर्च
4480 करोड़ रुपये खर्च हुए कुल व्यय में से 2011-12 में
5302 करोड़ रुपये खर्च हुए कुल व्यय में से 2012-13 में
6314 करोड़ रुपये खर्च हुए कुल व्यय में से 2014-15 में
4075 करोड़ रुपये खर्च हुए कुल व्यय में से 2016-17 में
5728 करोड़ रुपये खर्च हुए कुल व्यय में से 2017-18 में

सरकार खुले मन से कर्मचारियों के बीच आए और अपनी बात साझा करे। कर्मचारी बताएंगे कहां से कैसे क्या हो सकता है। कर्मचारी भी इसी प्रदेश का हिस्सा हैं, वे प्रदेश के विकास को अवरुद्ध थोड़े ही करना चाहते हैं। मांगों को सोच समझ कर रखा गया है। वित्तीय भार की कहीं कोई बात नहीं है, यदि कहीं आएगी तो उसका रास्ता निकाला जा सकता है।
– अरुण पांडेय, प्रदेश प्रवक्ता, उत्तराखंड कार्मिक शिक्षक आउटसोर्स संयुक्त मोर्चा


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com