April 25, 2024

हाईकोर्ट से त्रिवेंद्र सरकार को बड़ा झटका, 24 नगर निकायों का सीमा विस्तार रद्द

हाईकोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को झटका देते हुए नगर निकाय के विस्तार को लेकर जारी अधिसूचना को खारिज कर दिया है। सरकार ने पांच अप्रैल को इस मामले में अधिसूचना जारी की थी। न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की एकलपीठ ने सोमवार को मामले में दायर याचिका को निस्तारित करते हुए यह फैसला सुनाया।

प्रदेश में सभी नगर निगम और अन्य स्थानीय निकायों के सीमा विस्तार की कवायद फिलहाल निपट चुकी है। एकलपीठ ने आठ मई को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। प्रदेश सरकार ने सितंबर 2017 में स्थानीय निकायों के सीमा विस्तार की कवायद शुरू की थी। 22 सितंबर 2017 को इसके लिए अधिसूचना जारी की गई। 23 निकायों के साथ ही नगर पालिका कोटद्वार और ऋषिकेश को नगर निगम का दर्जा देते हुए इससे लगे गांवों को इनकी सीमा में शामिल कर दिया था। आपत्ति के लिए समय देने के बाद 24 अक्तूबर 2017 को अंतिम अधिसूचना जारी कर दी गई। एकलपीठ ने सोमवार को फैसला सुनाते हुए याचिकाकर्ताओं की दलील को सही माना है। सरकार के पांच अप्रैल के नोटिफिकेशन को खारिज कर दिया है।

कोटद्वार के मवाकोट की 35 ग्राम पंचायतों के साथ ही प्रदेश की कई ग्राम पंचायतें सरकार की निकास विस्तार की अधिसूचना के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचीं। इसमें ऋषिकेश, भवाली, पिथौरागढ़, हल्द्वानी, अल्मोड़ा, दौला, धनौला, ज्ञानखेड़ा टनकपुर, सोनला रुद्रप्रयाग, हेमपुर इस्माइल, झनकिया समेत कई अन्य ग्राम पंचायतें शामिल रहीं। हाईकोर्ट ने 9 मार्च 2018 को याचिकाओं को स्वीकार करते हुए प्रदेश सरकार की इस मामले में जारी अधिसूचना को रद्द कर दिया, लेकिन सरकार को दोबारा से सुनवाई करने के निर्देश दिए। सरकार ने कोर्ट के आदेश पर 10 मार्च को अनंतिम अधिसूचना जारी की। संबंधित जिलाधिकारियों के स्तर पर सुनवाई की औपचारिकता पूरी कर पांच अप्रैल को फिर से सभी ग्राम पंचायतों को संबंधित निकायों में शामिल करने को लेकर अधिसूचना जारी कर दी गई।

सरकार की अधिसूचना को फिर चुनौती

सरकार की इस अधिसूचना को फिर से चुनौती दी गई। इस पर दोनों पक्षों की ओर से दलीलें दी गईं। सरकार ने बताया कि नगरों से लगे गांव की जनता को सुविधा देने के लिए यह कदम उठाया गया है, जबकि याचिकाकर्ताओं की ओर से इसे संविधान के अनुच्छेद 243-क्यू के उल्लंघन का मामला बताया गया। कहा गया कि इस प्रकार के मामले में राज्यपाल के स्तर से नोटिफिकेशन ही मान्य है, लेकिन सरकार ने जिला प्रशासन और शासन स्तर से यह प्रक्रिया पूरी की है। इस लिहाज से सरकार के स्तर से जारी नोटिफिकेशन अवैधानिक है। राज्य निर्वाचन आयोग की प्रदेश में समय पर स्थानीय निकाय चुनाव कराने को लेकर दायर याचिका में अब 22 मई को सुनवाई होगी। इसके साथ ही आरक्षण के खिलाफ दायर याचिकाओं पर भी इसी तिथि को एकलपीठ में सुनवाई तय हुई है।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com