वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम: कारोबारियों के लिए भारत का द्वार हमेशा खुला है- पीएम नरेंद्र मोदी
वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम के उद्घाटन भाषण में पीएम नरेंद्र मोदी ने अपनी दमदार स्पीच से दुनियाभर का ध्यान अपनी ओर खींचा। वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम (WEF) के उद्घाटन भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘खुलेपन की जरूरत’ पर जोर देकर न केवल आर्थिक जगत की वैश्विक ताकतों को बल्कि भारत में अपने समर्थकों और विरोधियों को भी स्पष्ट संदेश दिया। पीएम के साथ काम करनेवाले कुछ लोगों ने यह बताया। उन्होंने कहा कि इस संदेश के आर्थिक और सांस्कृतिक पहलू हैं।
उन्होंने अपने भाषण में जीएसटी, लाइसेंस राज एवं गैरजरूरी कानूनों के खात्मे, नौकरशाही की जगह लाल कालीन, ऑटोमैटिक रूट से एफडीआई आदि को अपनी सरकार की उपलब्धियों के तौर पर गिनाया। एक अधिकारी ने कहा, ‘प्रधानमंत्री अपने देशवासियों और समर्थकों को यह भरोसा दिलाने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं कि उनका एक-एक कदम राष्ट्रहित में है।’
मोदी ने विदेशी बाजारों और विविध संस्कृतियों के प्रति खुलेपन की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि कारोबारियों के लिए भारत का द्वार हमेशा खुला है, लेकिन उन्होंने चेतावनी भी दी कि संरक्षणवाद जड़ें जमा रहा है और वैश्वीकरण की भावना को ठेस पहुंच रही है। इसे समझाने के लिए मोदी ने महात्मा गांधी के उस वक्तव्य का उदाहरण दिया जिसमें गांधी ने अपने कमरों की खिड़कियां खोलकर रखने की बात कही थी।
मोदी ने भाषण में संस्कृत के कई श्लोकों का इस्तेमाल किया और ऋगवेद, उपनिषद, महात्मा गांधी तथा रवींद्रनाथ टैगोर की उक्तियों को हवाला दिया। मोदी के दावोस दौरे की तैयारी करनेवालों ने बताया कि समारोह में सारे तीर निशाने पर लगे, इसके लिए बहुत मेहनत की गई।
जब CEOs से पीएम मोदी की स्पीच के बारे में पूछा गया तो सबने बड़े से बड़े शब्दों के साथ स्पीच की तारीफ की। लेकिन निजी रूप से कई सीईओ ने बताया कि 52 मिनट्स की स्पीट कुछ ज्यादा लंबी थी, खासतौर पर भारत की विरासत का जिक्र बार-बार दोहराना।
हिंदी या इंग्लिश पर सस्पेंस
पीएम मोदी के बोलने से पहले मीडिया में यह चर्चा थी कि वह हिंदी में बोलेंगे या इंग्लिश में। टेलिप्रॉम्टर लगा होने की वजह से सभी को लगा मोदी अंतरराष्ट्रीय ऑडियंस को देखते हुए अंग्रेजी में बोलेंगे। कई लोगों को यह कहना था कि मोदी को राष्ट्रभाषा में ही बोलना चाहिए जैसा पिछले साल चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने किया था। पीएम मोदी के भाषण शुरू करते ही सस्पेंस खत्म हुआ और अधिकतर लोगों हिंदी से इंग्लिश ट्रांसलेशन के लिए हेडफोन लगाने पड़े।
पीएम मोदी अपनी स्पीच के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन त्रुडो के साथ द्विपक्षीय वार्ता करने पहुंचे। त्रुडो अगले महीने अपने परिवार और बिजनस डेलिगेशन के साथ भारत के दौरे पर आने वाले हैं। द्विपक्षीय बातचीत में अहम मुद्दा आतंकवाद रहा, मोदी से मिलने पहुंचे भारतीय CEOs को इंतजार करना पड़ा। CEOs के साथ बातचीत को फोटो सेशन में बदल दिया गया। इसके तुरंत बाद प्रधानमंत्री अंतरराष्ट्रीय बिजनस काउंसिल के 100 लोगों के साथ लंच पर पहुंचे।