September 23, 2024

आडवाणी की खरी-खरी, भाजपा ने अपने विरोधियों को कभी देश-विरोधी नहीं माना

छह अप्रैल को भाजपा के स्थापना दिवस कार्यक्रम से पहले वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने ब्लॉग लिखकर अपने विचारों को साझा किया है। उन्होंने साफ कहा कि भाजपा से अलग राजनीतिक राय रखना देशविरोधी होना नहीं है। इसके अलावा उन्होंने गांधीनगर की जनता और कार्यकर्ताओं का आभार भी जताया है। 

आडवाणी ने लिखा

देश की सेवा करना मेरा पैशन और मिशन रहा है। देश पहले, फिर पार्टी और उसके बाद मैं। हमारी भारतीय राष्ट्रवाद की तरह हमने भी राजनीतिक रूप से अलग विचार रखने वालों को देशविरोधी नहीं माना है। हमारी पार्टी हर नागरिक के चुनने की आजादी को लेकर प्रतिबद्ध है। अपने उदय के समय से ही भाजपा ने अपने राजनीतिक विरोधियों को अपना दुश्मन नहीं माना है बल्कि विपक्षी के तौर पर देखा है।  

क्या क्या लिखा है आडवाणी ने पढ़ें- 

  • 6 अप्रैल को भाजपा अपना स्थापना दिवस मनाएगी। हमारे लिए यह एक महत्वपूर्ण अवसर है। भाजपा के एक संस्थापक के तौर पर मैं समझता हूं कि अपना अनुभव भारत के लोगों के साथ साझा करूं और इससे भी बढ़कर भाजपा कार्यकर्ताओं से जिनके प्रेम और आदर ने मुझे ऋणी बनाया है।  
  • मैं गांधीनगर की जनता का आभार जताता हूं जिन्होंने मुझे 1991 से लगातार चुनकर संसद भेजा। उनके प्यार और समर्थन ने मुझे उत्साहित किया है। 
  • 14 साल की उम्र में जब मैं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में शामिल हुआ, तभी से धरती मां की सेवा करना मेरा पैशन और मिशन रहा है। भाजपा के साथ मेरा 70 साल का नाता रहा। मैं पहले भारतीय जनसंघ के साथ और फिर भारतीय जनता पार्टी के साथ जुड़ा रहा और दोनों का संस्थापक सदस्य रहा। 
  • प. दीनदयाल उपाध्याय, श्री अटल बिहारी वाजपेयी और कई अन्य महान नेताओं के साथ काम करना मेरे लिए सौभाग्य की बात रही। मेरे जीवन का सिद्धांत रहा है- पहले देश, फिर पार्टी और अंत में मैं। तीनों मामलों में मैं सिद्धांतों पर अटल रहा।
  • भारतीय लोकतंत्र की खूबी है विभिन्नता और विचारों की आजादी। भाजपा ने शुरुआत से ही अपने राजनीतिक विरोधियों को दुश्मन नहीं माना है। भारतीय राष्ट्रीयता की तर्ज पर हम अपने राजनीतिक विरोधियों को देशविरोधी नहीं मानते हैं। 
  • पार्टी के भीतर और वृहद राष्ट्रीय परिदृश्य में लोकतंत्र एवं लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा भाजपा की विशिष्टता रही है । इसलिये भाजपा हमेशा मीडिया समेत सभी लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्वतंत्रता, निष्पक्षता और उनकी मजबूती को बनाये रखने की मांग में सबसे आगे रही है।
  • राजनीतिक व चुनावी फंडिंग में पारदर्शिता सहित चुनाव सुधार भ्रष्टाचार मुक्त राजनीति के लिये उनकी पार्टी की एक अन्य प्राथमिकता रही है । 
  • संक्षेप में पार्टी के भीतर और बाहर सत्य, निष्ठा और लोकतंत्र के तीन स्तम्भ संघर्ष से मेरी पार्टी के उद्भव के मार्गदर्शक रहे हैं। इन मूल्यों का सार सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और सुराज में निहित है जिस पर मेरी पार्टी अडिग रही है। 
  • आपातकाल के खिलाफ अभूतपूर्व संघर्ष इन मूल्यों का प्रतीक रहे हैं। 
  • मेरी इच्छा है कि सभी समग्र रूप से भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूती प्रदान करें। 

भाजपा ने नहीं दिया टिकट

बता दें कि लालकृष्ण आडवाणी को इस बार लोकसभा चुनाव में पार्टी ने टिकट नहीं दिया है और उनकी पारंपरिक गांधीनगर सीट से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह चुनाव लड़ रहे हैं ।आडवाणी ने 1991 से छह बार लोकसभा में निर्वाचित करने के लिये गांधीनगर के मतदाताओं के प्रति आभार प्रकट किया। आडवाणी ने 2015 के बाद पहली बार अपने ब्लाग पर कोई पोस्ट डाली है।


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