September 22, 2024

एनआरसी मुद्दा: सीजेआई की असम सरकार को फटकार- आप खुद ही भ्रम पैदा कर रहे हैं तो लोग भरोसा कैसे करें

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस रंजन गोगोई ने एनआरसी मुद्दे पर असम सरकार को फटकार लगाई है। सीजेआई कहा कि आपने असम एनआरसी से 40 लाख लोगों को बाहर कर दिया, जबकि केवल 52 हजार लोगों को ही विदेशी घोषित किया गया। लोग आपकी सरकार पर भरोसा कैसे करें, जब आप खुद ही भ्रम पैदा कर रहे हैं।  

सर्वोच्च न्यायालय ने अवैध प्रवासियों और नजरबंदी केंद्रों (डिटेंशन सेंटर) में सालों से कैद कर रखे गए हजारों अवैध घुसपैठियों को उनके देश वापस भेजने की कोई कोशिश नहीं किए जाने पर गहरी चिंता जताई है। 

असर सरकार की ओर से पेश हुए सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि असम में छह नजरबंदी केंद्रों में 938 व्यक्ति हैं। इनमें से 812 को ट्रिब्यूनल विदेशी घोषित कर चुका है। असम में 25 हजार से ज्यादा विदेशियों को भारत में गैरकानूनी तरीके से घुसने की कोशिश के दौरान सीमा से वापस लौटाया जा चुका है। 

एनआरसी मुद्दे पर सुनवाई कर रहे सर्वोच्च न्यायालय ने 28 जनवरी को राज्य सरकार से पूछा था कि अब तक कितने विदेशियों को वापस भेजा गया, राज्य में कितने नजरबंदी केंद्र हैं और इनमें कितने लोग रह रहे हैं। इनमें रह रहे लोगों को क्या सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। सुनवाई कर रही पीठ में जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस संजीव खन्ना भी शामिल हैं। 

सीजेआई ने सवाल किया कि जब सरकार ने 52 हजार लोगों को विदेशी घोषित किया तो केवल 166 लोगों को ही उनके देश वापस क्यों भेजा गया। आप इतने सालों से कर क्या रहे थे। यह समस्या 50 सालों से है। सरकार ने अभी तक कुछ किया क्यों नहीं? 

याचिकाकर्ताओं के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि कुछ अवैध घुसपैठियों को राज्य सरकार ने साल 2010 से नजरबंदी केंद्रों में रखा हुआ है। भूषण ने कहा कि इन केंद्रों में रहने वाले लोगों को उनके मानवाधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता। 


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