कोर्ट का आदेश: तलाक लेने के बाद भी महिला मांग सकती है गुजारा भत्ता
गुजाराभत्ते से संबंधित एक मामले में अदालत ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा कि तलाक लेने के बाद भी पत्नी अपने और बच्चों के भरण-पोषण के लिए पति से गुजाराभत्ता मांग सकती है। हालांकि इसके लिए पत्नी के आर्थिक व सामाजिक हालात अहम माने जाएंगे। इसके बाद ही गुजाराभत्ता याचिका का निस्तारण होगा।
रोहिणी स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत ने इस मामले में महिला के हक में फैसला सुनाते हुए कहा कि तलाक का मतलब यह नहीं है कि तलाकशुदा पत्नी के प्रति पति की जिम्मेदारी समाप्त हो गई है। महिला के आर्थिक व सामाजिक हालात यह तय करते हैं कि वह अपने पूर्व पति से गुजाराभत्ता प्राप्त करने के योग्य है या नहीं। हालांकि, इसके लिए भी कुछ नियम निर्धारित हैं, जिन्हें महिला पक्ष को पूरा करना होता है।
अदालत ने यह टिप्पणी एक महिला द्वारा अपने व अपनी नौ साल की बेटी के लिए पूर्व पति से गुजाराभत्ता दिलाने संबंधी अर्जी पर फैसला देने के दौरान की। अदालत ने पूर्व पति को आदेश दिया है कि वह बेटी की पढ़ाई-लिखाई व गुजर-बसर के लिए 15 हजार रुपये प्रतिमाह प्रदान करे। यह भी कहा कि प्रतिवादी को हर महीने की 10 तारीख को यह रकम पूर्व पत्नी व बेटी को देने होंगे।
कमाई का कोई जरिया न होने की दलील दी: इस मामले में तलाक के समय गुजाराभत्ते पर कोई निर्णय नहीं हुआ था। कुछ माह गुजरते ही रेणुका के लिए गुजारा चलाना मुश्किल हो गया। बच्ची की स्कूल फीस भी भर पाने में वह असमर्थ हो गई। ऐसे में रेणुका ने फिर अदालत की शरण ली। हलफनामे में उसकी तरफ से बताया गया कि वह आठवीं कक्षा तक पढ़ी है। वह किराए के घर में रहती है और कमाई का कोई जरिया नहीं है। ऐसे में पूर्व पति से मदद चाहती है।
छह महीने पहले तलाक : अलीपुर निवासी रेणुका(बदला हुआ नाम) व धीरज की शादी 27 सितंबर 2004 को हुई थी। एक नौ की बेटी भी है। कई सालों से इनके बीच आपसी रिश्ते बेहद खराब चल रहे थे। दिसंबर 2018 में इन दोनों ने सहमित से तलाक ले लिया।