खतरे में यूपीसील एमडी की कुर्सी ?
देहरादून। राज्य गठन से लेकर अबतक उत्तराखंड पाॅवर काॅरपोरेशन यूपीसीएल की बाग डोर प्रदेश के मुखियाओं के पास ही रही, कारण जो भी हो, लेकिन ये सच है कि निगम में एक के बाद एक घोटाला समय समय पर बाहर आता रहा।
राजनीतिक तौर से तो से तो सरकारे बदली और बंती रही, लेकिन यूपीसीएल के भीतर के भ्रष्टाचार को समाप्त करने की हिम्मत किसी भी सरकार के मुखिया के पास नहीं रही। इतना ही नहीं भ्रष्टाचार के प्रमाण मीडिया और यूपीसीएल कर्मचारियों द्वारा समय समय पर सीएमओ कार्यालय से लेकर राजभवन तक पहुंचाये गये, लेकिन नतीजा ये रहा कि जिस अधिकारी की जांच की बात कही जाती थी, उसी अधिकारी को जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया जाता था। ताजा मामला यूपीसीएल में ट्रिपल रिले घोटाले का है। जिसके बाद से सवाल खडे हो गये है कि क्या अब यूपीसीएल एमडी की कुर्सी किसी और को सौप दी जायेगी या फिर सरकार और निगम उक्त घोटाले को अपनी ताकत के दम पर घोल देगा।
निगम के निदेशक ने खोला मोर्चा
मामला ट्रिपल रिले घोटाले के सामने आने के चार दिन पहले का है जब निगम के एक निदेशक सचिवालय और मुख्यमंत्री आवास के बाहर नजर आये। वर्तमान प्रबंधन निदेशक से पूर्व उक्त निदेशक की उत्तराखंड पाॅवर कारपोरेशन में तूती बोलती थी। निगम के अधिकारी और कर्मचारी तो दूर निगम की एसोसिएशनों के मुह पर भी डर का ताला लग गया था। कुछ संगठनों ने कोशिस की, लेकिन उक्त निदेशक की चाल में ऐसे फंसे की खुद का संगठन ही टूटने की कगार पर आ गया। इसके बाद भी कुछ कर्मचारी नेताओं ने हिम्मत दिखाने का दुस्साहस किया तो उनके खिलाफ विभागीगय कार्यवाही से लेकर कानूनी कार्यवाही का षडयंत्रतक रच डाला। मजेदार बात यह है अब वर्तमान प्रबंधन निदेशक बीसी के मिश्रा की कुर्सी को हिलाने के लिए इस अधिकारी ने मन बना दिया है और यह अधिकारी सीएम आवास में भी अपनी पैंठ बना चुका है।
उक्त अधिकारी के करीबी भी मानते है कि साहब जो मन में ठान लेने है, उसे पूरा करके छोडते हैं। चाहे इसके लिए कुछ भी करना पडे। इतना ही नहीं इस अधिकारी ने निगम की ही कुछ बडी एसोसिएशनों को उक्त घोटाले पर आंदोलन करने तक की सलाह तक दे दी है। जिसके बाद उक्त संगठन भी रणनीति बनाने में जुट गया है और अपना नफा नुकशान भी देख रहा है।
क्या है मामला
आपको बतादें की महकमे ने बिजली घरों में लगने वाले उपकरण ट्रिप रिले को खरीदने के लिए एक खास कम्पनी को ही चुना है। और इस कम्पनी से जो ट्रिप रिले खरीदे वो बाजार भाव से तकरीबन डेढ़ गुनी कीमत पर खरीदा है। जिससे विभाग के नाम में एक और नया घोटाला जुड़ता दिख रहा है।
सवाल नंबर-1 आखिर क्यों यूपीसीएल महकमे ने खरीददारी के लिए एक ही कम्पनी को चुना ओर क्यों इस से लिये ट्रिप रिले को बाजार से अधिक दामो में खरीदा।
सवाल नंबर -2 कम्पनी मार्केट रेट पर ट्रिप रिले को 23,500 रुपए में बेचती है, जबकि वहीं ट्रिप रिले निगम को कम्पनी ने 36,500 रुपए में बेचती है।
सवाल नंबर-3 एक तरफ मास्टर ट्रिप रिले का मार्केट रेट जहां 3,800 रुपए है, वहीं निगम कम्पनी से यही मास्टर ट्रिप रिले 16,500 रुपए में खरीदती है।
सवाल नंबर-4 ट्रिप रिले के टेस्टिंग और लगाने की कीमत कम्पनी बाजार में जहाँ 4000 रुपए है, वहीं कम्पनी ने निगम से 10,000 रुपए वसूले।