चार दिन में नहीं हो पाई लॉन्चिंग, तो 3 महीने के लिए टल जाएगा मिशन चंद्रयान-2
इसरो के मून मिशन चंद्रयान-2 को लॉन्च व्हीकल में आई तकनीकी खामी के कारण प्रक्षेपण से रोक दिया गया। सोमवार अलसुबह 2.51 बजे श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण होना था और इसकी तैयारी भी पूरी थी। लेकिन, 56 मिनट 24 सेकंड पहले उलटी गिनती रोक दी गई।सूत्रों के अनुसार चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग अगर गुरुवार तक नहीं हो पाई तो इसे अगले 3 महीनों के लिए टाल दिया जाएगा। इसरो को अगला लॉन्च विंडो अक्तूबर में मिलने की संभावना है। लॉन्च विंडो उस उपयुक्त समय को कहा जाता है जब पृथ्वी से चांद की दूरी कम होती है और राकेट की दूसरे उपग्रहों से टकराने की संभावना बहुत कम होती है।
इसरो के अनुसार, इस मिशन को रद्द नहीं किया गया है। जल्द ही इसकी नई तारीख का एलान होगा और इस महत्वपूर्ण मिशन को अंजाम दिया जाएगा। इसके साथ ही भारत पहली बार चंद्रमा पर दस्तक देगा। ऐसा करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश होगा। दुनिया में अंतरिक्ष महाशक्ति कहलाने वाले भारत के लिए यह बड़ी उपलब्धि होगी।
इसरो के किसी भी मिशन के लिए लॉन्चिंग की तारीख की घोषणा त्रिवेंद्रम स्थित स्पेस फिजिक्स लैब करता है। इस मिशन को दोबारा लॉन्च करने के लिए यही लैब नई तारीख जारी करेगा। अगर चंद्रयान-2 के तकनीकी खामी को गुरुवार तक ठीक करने लॉन्च नहीं किया गया तो इसरो को अक्तूबर तक का इंतजार करना पड़ेगा।
अक्टूबर में इन तारीखों के बीच हो सकती है लॉन्चिंग
ISROइसरो को अगला लॉन्च विंडो 10 अक्तूबर से 26 अक्टूबर के बीच मिलेगा। इस दौरान धरती से चांद की औसत दूरी 3.61 लाख किलोमीटर होगी।
धरती से कितनी दूरी पर है चंद्रमा?
ये कोई एक दिन की यात्रा नहीं है, बल्कि इसमें कई दिनों का समय लग जाता है। धरती और चंद्रमा की औसत दूरी 3 लाख 84 हजार किमी है। अपोलो के अंतरिक्षयात्रियों को 1960 और 1970 के दशक में चांद पर पहुंचने में तीन दिनों का वक्त लगा था।
एनालिसिस कमेटी जांचेगी तकनीकी खामी
चंद्रयान-2 की तकनीकी खामी को इसरो की हाईलेवल एनालिसिस कमेटी जांचेगी। जीएसएलवी मार्क-3 और लॉन्च व्हीकल की भी मशीनी और फिजिकल जांच की जाएगी। जिसके बाद ही इसे उड़ान की अनुमति मिल सकेगी।
क्या है चंद्रयान-2 मिशन?
ये भारत का चंद्रमा मिशन है, जिसमें यान को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर भेजा जाएगा।
क्या है उद्देश्य?
– अगर चंद्रयान-2 से चांद पर बर्फ की खोज हो पाती है तो भविष्य में यहां इंसानों का प्रवास संभव हो सकेगा।
– इससे यहां शोधकार्य के साथ-साथ अंतरिक्ष विज्ञान में भी नई खोजों का रास्ता खुलेगा।
– लॉन्चिंग के 53 से 54 दिन बाद चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान- 2 की लैंडिंग होगी और अगले 14 दिन तक यह डाटा जुटाएगा।
कहां जाएगा चंद्रयान- 2?
ANI- चंद्रयान-2 के जरिए इसरो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर जाएगा जहां आज तक कोई नहीं पहुंच पाया है। इस जोखिम से वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय को लाभ होगा।
– चंद्रयान छह या सात सितंबर को चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव के पास लैंड करेगा। ऐसा होते ही भारत चांद की सतह पर लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन जाएगा।
दक्षिणी ध्रुव ही क्यों चुना?
– चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अब तक कोई भी देश नहीं जा सका है लेकिन अब यहां भारत अपने चंद्रयान- 2 को उतारकर इतिहास रचने जा रहा है।
– चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सूर्य की किरणें सीधी नहीं बल्कि तिरछी पड़ती हैं। इसलिए, यहां का तापमान बहुत कम होता है।
चंद्रयान -2 को निर्धारित कक्षा में कौन ले जाएगा?
GSLV Mk-III चंद्रयान-2 को उसकी निर्धारित कक्षा तक लेकर जाएगा। ये तीन स्टेज वेहिकल भारत का सबसे ताकतवर लॉन्चर है।
चंद्रयान-2 मिशन भारत क्यों लॉन्च कर रहा है ?
भारत अंतरिक्ष में अपनी पकड़ और मजबूत करना चाहता है, जिससे वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और खोजकर्ताओं की अगली पीढ़ी को प्रेरणा मिल सके।
भारत और विश्व को इससे क्या फायदा होगा?
चंद्रयान-2 भारत का अंतरिक्ष मिशन है, जो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर जाएगा। इससे चांद को लेकर समझ और भी मजबूत होगी। जो भी खोज होंगी उससे ना केवल भारत बल्कि संपूर्ण मानवता को लाभ होगा। इससे भविष्य में भी वैज्ञानिकों को काफी मदद मिलेगी।
चंद्रमा का तापमान क्या है?
चंद्रमा का तापमान काफी अधिक और काफी कम होता है। चंद्रमा के जिस क्षेत्र में धूप पड़ती है, उसका तापमान 130 डिग्री सेल्सियस तक होता है। वहीं रात के वक्त तापमान -180 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है।
चंद्रयान-1 मिशन से कितना अलग है चंद्रयान-2?
चंद्रयान-1 के विपरीत चंद्रयान-2 सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। यहां वह अपने छह पहिया रोवर प्रगयान को उतारेगा। वह चांद पर काफी सारे प्रयोग करेगा। चंद्रयान-1 का वजन 1,380 किग्रा था, जबकि चंद्रयान-2 का वजन 3,850 किग्रा है।