दिल्ली हाईकोर्ट से कांग्रेस को झटका, खाली करना होगा नेशनल हेराल्ड हाउस
दिल्ली उच्च न्यायालय ने नई दिल्ली के आईटीओ में नेशनल हेराल्ड के परिसर खाली करने के एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देने वाली हेराल्ड प्रकाशक एजेएल की याचिका गुरुवार को खारिज कर दी। मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति वी के राव की पीठ ने एसोसिएटिड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की याचिका खारिज कर दी जिसमें उसने आईटीओ परिसर खाली करने के आदेश को चुनौती दी थी।
हालांकि अदालत ने उस समय को स्पष्ट नहीं किया है जिसमें एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) को हेराल्ड भवन खाली करना है। इससे पहले याचिकाकर्ता और केंद्र सरकार की दलीलें सुनने के बाद उच्च न्यायालय ने 18 फरवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था। हाईकोर्ट के सिंगल जज ने 21 दिसंबर को दो सप्ताह के भीतर हेराल्ड हाउस खाली करने का आदेश दिया था। एजेएल ने फैसले को खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी थी।
मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति वीके राव की खंडपीठ के समक्ष केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि नेशलन हेराल्ड का प्रकाशन एजेएल 2008 में बंद कर चुकी थी और कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दे दी गई थी। कंपनी ने लीज की शर्तों का उल्लंघन कर हेराल्ड हाउस को किराए पर दिया था।
इसके अलावा, चालाकी से कंपनी के शेयर यंग इंडियन कंपनी को ट्रांसफर कर दिए गए। केंद्र सरकार का तर्क था कि यह संपत्ति समाचार पत्र प्रकाशन और प्रिंटिंग के लिए एजेएल को दी गई थी, लेकिन उसने यह काम बंद कर दिया था। यंग इंडियन का निर्माण एजेएल के स्वामित्व वाले हेराल्ड हाउस को हथियाने की मंशा से किया गया था।
एजेएल के 99 फीयदी शेयर बेहद चतुराई से यंग इंडियन को ट्रांसफर किए गए। इससे करीब 413 करोड़ की संपत्ति का हित यंग इंडियन को मिल गया था। इस मामले को सामने लाना बेहद जरूरी है। दूसरी ओर, एजेएल की ओर से अपील पर जिरह में वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने केंद्र सरकार की दलीलों को खारिज करते हुए कहा था कि कंपनी के शेयर ट्रांसफर होने का मतलब उसकी संपत्ति शेयरधारकों के नाम होना नहीं है।
शेयर धारक किसी कंपनी की संपत्ति के मालिक नहीं होते। याची का यह भी कहना था कि नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन वित्तीय तंगी के कारण बंद किया गया था।