देहरादून की पहली आर्ट गैलरी में नही है कोई आर्ट एक्सपर्ट
देहरादून। 30 सितंबर 2017 को देहरादून राज्य की पहली आर्ट गैलरी तो खुल चुकी है। लेकिन आर्ट गैलरी में आर्ट एक्सपर्ट ही नहीं रखा गया है। ऐसे में आर्ट गैलरी खाली नाम की आर्ट गैलरी बनकर रह गयी हैं।
राज्य की आर्ट गैलरी को एक साल हो चुका है, लेकिन सरकार द्वारा इसमें कोई भी कार्य नहीं किये गये है। आपको बतादें कलाकार स्वर्गीय सुरेेन्द्र पाल जोशी के प्रयासों से मसुरी देहरादून विकास प्राधिकरण की ओर से करीब 1 करोड़ 90 लाख की लागत से आर्ट गैलरी तैयार की गई थी। खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसका उद्घाटन किया था। ऐसे में राज्य में आर्ट गैलरी तो है लेकिन सरकार द्वारा आर्ट एक्सपर्ट नही रखा गया है। आर्ट गैलरी में केवल 3 कर्मचारी कार्य करते है, जिन्हे आर्ट सम्बन्धी कोई भी ज्ञान नहीं है।
इसी विषय में संसकृति विभाग की निदेशक बिना भट्ट से बात करी जिसमें उन्होन इस मामले को लेकर पूरी जानकरी दी। बिना भट्ट का कहना है कि आर्ट गैलरी कोई इंस्टीटयूट नहीं है जिसमें किसी कलाकार एक्सपर्ट की आवश्यक हो। यह एक आर्ट गैलरी जिसमें पेन्टिगस का रखरखाव किया जाता है। जहां विभाग द्वार एक टेक्निकल असिस्टेंट को यह काम तब तक दिया है जब तक कोई पेनल का घट्टन नहीं किया जाता। उनका मानना है कि अगर कोई पर्दशनी लगाई जाती है तो उस समय वहां एक कलाकार अपनी कला को समझाने के लिए वहां होता है। ऐसे में आर्ट गैलरी के टेक्निकल असिस्टेंट जीसी पांडे से बात की जिसमें उन्होन बताया कि गैलरी में स्थानीय कलाकारों द्वारा यहां प्रदर्शनी लगायी जाती है। यहां अभी तक विभाग ने 4 बार प्रदर्शनी ही लगायी है।
आपको बता दें कि उत्तराखण्ड संस्कृति को आर्ट के माध्यम से सुन्दर रूप से दर्शाया गया है। साथ ही साथ केदारनाथ भीषण तबाही के चित्र भी यहां लगाये गये है। यहां एक दिन में लगभग 8 10 लोग आते हैं। सरकार पहाड़ की संस्कृति और यहां की धरोहर को बचाना चाहती है। यह तब ही संभव है जब आर्ट गैलरी में आर्ट एक्सपर्ट रखे जायेंगे।