निशाने पर विधानसभा चुनाव तो राम रहीम की पैरोल पर दांव, बाहर लाना चाह रही हरियाणा सरकार

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साध्वियों के यौन शोषण के आरोप में सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को पैरोल दिए जाने पर हरियाणा सरकार नरम पड़ गई है। डेरा मुखी को पैरोल देने का रास्ता तलाशा जा रहा है। हालांकि सरकार में कोई इस बात की पुष्टि नहीं कर रहा है लेकिन खुफिया सूचना तंत्र अपने स्तर पर जानकारी जुटा रहा है। अफसर भी इस मामले में बोलने से बच रहे हैं। अधिकारियों ने इस मामले को सिरसा प्रशासन के आगे डाल दिया है। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि सिरसा के डीसी-एसपी ही इस संदर्भ में निर्णय लेने के हकदार हैं।

सूत्रों के मुताबिक पैरोल को लेकर खुफिया एजेंसियों से रिपोर्ट मांगी गई है। खुफिया एजेंसियों को कहा गया है कि वे राम रहीम के बाहर आने की स्थिति में पैदा होने वाले हालातों को लेकर रिपोर्ट भेजें ताकि कोई भी फैसला लेने से पहले स्थिति साफ की जा सके। 

दरअसल दो साल पहले साध्वी यौन शोषण मामले में डेरा प्रमुख को दोषी करार देने के बाद पंचकूला में डेरा प्रेमियों ने जमकर हिंसा की थी। इसमें अर्द्धसैनिक बल और पुलिस की गोली से तीन दर्जन से ज्यादा लोग मारे गए थे। मालूम हो कि डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम ने रोहतक के जेल अधीक्षक को पत्र लिखकर डेरे में कृषि कार्य करने के लिए पैरोल की मांग की है।

रोहतक के जेल अधीक्षक ने गृह विभाग और सिरसा के उपायुक्त को पत्र लिखकर पैरोल पर राय मांगी गई है। जेल अधीक्षक की ओर से यह पूछा गया है कि क्या कैदी गुरमीत सिंह को पैरोल देना उचित होगा या नहीं। पत्र के अनुसार इस बारे में जिला प्रशासन अपनी सिफारिश आयुक्त रोहतक को भेजेगा। सिरसा के अफसरों का कहना है कि पैरोल के नियमानुसार जो भी प्रक्रिया होगी, उसके तहत रिपोर्ट बनाकर भेजी जाएगी। 

बता दें कि गुरमीत सिंह को सीबीआई कोर्ट द्वारा 2017 को दो साध्वियों के साथ दुष्कर्म का दोषी करार दिया गया था। सीबीआई कोर्ट ने 28 अगस्त को दोनों मामलों में उन्हें 10-10 साल की कैद और 15-15 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। 

इसके अलावा पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या मामले में भी सीबीआई कोर्ट ने गुरमीत राम रहीम को आजीवन कठोर कारावास और 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। इसके अलावा डेरा प्रमुख के दो मामले कोर्ट में ट्रायल पर हैं। इनमें एक रणजीत सिंह हत्या का और दूसरा डेरा प्रेमियों को नपुंसक बनाने का है।

खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट ही बनेगी मुख्य आधार 

डेरा प्रमुख की पैरोल का मुख्य आधार खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट ही होगी। रिपोर्ट के अनुसार ही सिरसा जिला प्रशासन अंतिम फैसला लेगा और उसी तरह से अनुशंसा की जाएगी। सूत्रों की मानें तो खुफिया एजेंसियों की ओर से इनपुट जुटाए जा रहे हैं और वही रिपोर्ट पैरोल देने और नहीं देने का आधार बनेगी। 

यह है कारण 

हरियाणा की दो दर्जन से अधिक सीटों पर डेरामुखी के अनुयायियों की संख्या करीब पांच से दस हजार है। लोकसभा चुनाव में सरकार के लिए यह वोट उतने मायने नहीं रखते थे लेकिन विधानसभा चुनाव में यह वोट नतीजे प्रभावित कर सकते हैं। लिहाजा सत्तर प्लस का लक्ष्य भेदने के लिए भाजपा चाहेगी कि डेरामुखी को बाहर लाया जाए। भले ही वह खेती बाड़ी के बहाने ही क्यों न हो।

शादी समारोह के लिए नहीं मिली थी पैरोल

गुरमीत राम रहीम की गोद ली गई बेटी गुरांश की शादी 10 मई को तय हुई थी। उसमें शामिल होने के लिए राम रहीम ने 1 माह की पैरोल मांगी थी। सीबीआई और हरियाणा सरकार दोनों ने इस पैरोल का विरोध किया था। हाईकोर्ट इस याचिका को खारिज करने जा ही रहा था कि राम रहीम ने 1 मई को याचिका वापस ले ली। 

गुरमीत राम रहीम हो या कोई अन्य कैदी, कानून के मुताबिक हर कोई पैरोल का हकदार है। अगर कोई पैरोल की शर्तें पूरी करता है तो उसे यह मिलना चाहिए।  – अनिल विज, स्वास्थ्य व खेल मंत्री, हरियाणा 

जेल सुपरिंटेंडेंट ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि जेल में गुरमीत राम रहीम का आचरण अच्छा रहा है। डेरा मुखी ने पैरोल मांगा है जिसका वह हकदार है। इसकी एक प्रक्रिया है। सिरसा पुलिस अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी इसे डिप्टी कमिश्नर को देगी। – कृष्णलाल पंवार, जेल मंत्री, हरियाणा 

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