भारत की विपश्यना ध्यान पद्धति पूरे विश्व का कर सकती है कल्याणः राष्ट्रपति
भारत ने दुनिया को विपश्यना ध्यान पद्धति दी है। इससे स्वयं का ही नहीं पूरे विश्व का कल्याण हो सकता है। जैसे शारीरिक व्यायाम से शरीर को स्वस्थ बनाया जा सकता है वैसे ही विपश्यना से मन को स्वस्थ बनाया जा सकता है। यह सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने महाराजपुर स्थित विपश्यना केंद्र के साधना भवन का लोकार्पण के दौरान कही।
बालाजी मंदिर के दर्शन किए
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सोमवार को लखनऊ से अपने विशेष विमान से सुबह 9.45 पर कानपुर पहुंचे। राज्यपाल राम नाईक, सीएम योगी आदित्यनाथ भी लखनऊ से उनके साथ कानपुर पहुंचे। चकेरी एयरपोर्ट से पहले राष्ट्रपति को हेलीकॉप्टर के जरिए महाराजपुर के सलेमपुर स्थित बालाजी मंदिर पहुंचना था। कार्यक्रमों में हुए फेरबदल के चलते राष्ट्रपति हेलीकॉप्टर की जगह सड़क मार्ग से होते हुए बालाजी मंदिर पहुंचे। राष्ट्रपति ने दर्शन और परिक्रमा के बाद मंदिर परिसर में भारत माता की प्रतिमा का अनावरण किया। यहां उन्होंने सबसे पहले बालाजी मंदिर में दर्शन कर पूजन किया। राष्टपति यहां लगभग 25 मिनट तक रूके।
विपश्यना को बारीकी से समझाया
इस दौरान राष्ट्रपति ने कहा कि विपश्यना केंद्र में वह खुद भी साधना कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि विपश्यना आत्मनिरीक्षण द्वारा आत्मशुद्धि की अत्यंत पुरातन साधना-विधि है। जो जैसा है, उसे ठीक वैसा ही देखना-समझना विपश्यना है। लगभग 2500 वर्ष पूर्व भगवान गौतम बुद्ध ने विलुप्त हुई इस पद्धति का पुन: अनुसंधान कर इसे सार्वजनीन रोग के सार्वजनीन इलाज, जीवन जीने की कला, के रूप में सर्वसुलभ बनाया। जिवन जीनेकी कला, इस सार्वजनीन साधना-विधि का उद्देश्य विकारों का संपूर्ण निर्मूलन और परिणामतः परमविमुक्ति का उच्च आनंद प्राप्त करना है। यह साधना मन का व्यायाम है।