महागठबंधन ‘जांचा परखा और खारिज’ विचार : अरुण जेटली

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वित्तमंत्री अरुण जेटली ने विपक्षी दलों के महागठबंधन को ‘जांचा, परखा और खारिज’ किया हुआ विचार करार दिया है। जेटली ने कहा, अच्छा होता कि यह (चुनाव) राष्ट्रपति प्रणाली (अमेरिका की तरह) से राहुल और मोदी के बीच होता।

एक साक्षात्कार में जेटली ने कहा कि 2019 का लोकसभा चुनाव शुद्ध रूप से एक मुद्दे पर जनमत संग्रह होगा कि क्या हम मोदी को दोबारा लाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इस बार मतदाताओं में मोदी और ‘अस्पष्ट धुंधले विचार’ के बीच अपनी पसंद चुनने का विकल्प रहेगा। उन्होंने कहा कि हालिया पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के दौरान एकमात्र तेलंगाना में महागठबंधन जैसा ही एक प्रयोग बुरी तरह से विफल हुआ है जब वहां तेलंगाना समर्थक टीआरएस के खिलाफ परस्पर विरोधी विचारों वाली पार्टियां एक हो गई थीं। 

इसी तरह का दृश्य आगामी लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिलेगा, जब अलग-अलग विचारों वाली पार्टियां एकसाथ आएंगी और जनता को भ्रमित करेंगी। 

जेटली ने कहा कि महागठबंधन बनाने का विचार तो पहले से ही खंडित हो चुका है। अब तो गठबंधन की दो अलग-अलग विचार चल रहे हैं। एक ओर कांग्रेस, द्रमुक, टीडीपी और कुछ कम्युनिस्ट पार्टियां हैं तो दूसरी ओर तेलंगाना राष्ट्र समिति ‘गैर-कांग्रेस, गैर-भाजपा फेडरल फ्रंट’ खड़ा करने की कोशिश कर रही है। 

अपनी सरकार के मुद्दे पर जेटली ने कहा कि इस सरकार में देश की अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ी है। उन्होंने कई राज्यों द्वारा कृषि ऋण माफ की नीति पर कहा कि इससे राज्यों का वित्तीय आंकड़ा गड़बड़ा सकता है।

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