हिमालय क्षेत्रों में रोड नेटवर्क के निर्माण में बहुत सारी चुनौतियों का सामना
रक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष भामरे ने आज यहां ‘हिमालय क्षेत्र में राजमार्गों के लिए सुरंग की योजना बनाने, जांच करने, डिजाइन बनाने और निर्माण करने की चुनौतियां’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय सेमिनार का उद्घाटन किया। इस सेमिनार का आयोजन सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा किया गया है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. भामरे ने कहा कि देश के विकास, रोजगारों के सृजन, विदेशी निवेश को आकर्षित करने और देश के सुदूर क्षेत्रों को मुख्य भूमि से जोड़ने में सड़क संरचना महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हिमालय क्षेत्र में सड़कों की आधारभूत संरचना का विशेष महत्व है, क्योंकि यह इस क्षेत्र के निवासियों के आवागमन तथा उनके विकास का एकमात्र साधन है। सुरक्षा के दृष्टि से भी सभी मौसमों में उपयोग किए जाने वाले सड़कों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
डॉ. भामरे ने कहा कि ऊपरी-हिमालय क्षेत्रों में रोड नेटवर्क के निर्माण में बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। कई क्षेत्रों में एकमात्र उपाय सुरंग निर्माण ही रह जाता है। इसलिए हिमालय क्षेत्र में सड़क तथा रेल नेटवर्क के लिए सुरंग निर्माण का विशेष महत्व है, हालांकि प्रारंभ में यह अत्यधिक खर्चीला लगता है।
डॉ. सुभाष भामरे ने आगे कहा कि सड़क तथा रेल मार्ग के लिए सुरंग निर्माण के क्षेत्र में देश तेजी से प्रगति कर रहा है। चेनानी-नासरी राजमार्ग सुरंग, बनिहाल-काजीकुंड रेल सुरंग तथा दिल्ली मेट्रो के लिए बनने वाले विभिन्न सुरंग इसके उदाहरण हैं। निकट भविष्य में बीआरओ रोहतांग दर्रे में 8.8 किलोमीटर लंबी सड़क सुरंग का निर्माण करेगा। रक्षा राज्य मंत्री ने एक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया जिसमें सुरंग निर्माण से जुड़ी विभिन्न कंपनियों ने अपने डिजाइन व निर्माण संबंधी कुशलता का प्रदर्शन किया है।
इंजीनिअर इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल सुरेश शर्मा, महानिदेशक मिलिटरी ऑपरेशंस लेफ्टिनेंट जनरल अनिल कुमार भट्ट, दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) के प्रबंध निदेशक डॉ मंगू सिंह, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली के निदेशक, प्रोफेसर वी रामगोपाल राव और सीमा सड़क संगठन के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल एस के श्रीवास्तव ने भी इस विषय पर प्रकाश डाला। समारोह में बीआरओ, रक्षा मंत्रालय और विभिन्न कंपनियों के प्रतिनिधियों के कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।