‘अर्थक्रांति’ की राय को सही से लागू नही कर पाये पीएम।
-नोटबंदी का ‘आईडिया’ देने वालली संस्था का पीएम नरेंद्र मोदी को सुझाव कहा- सही से लागू नहीं किया प्लान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार ने कालेधन पर लगाम लगाने के लिए नोटबंदी को ठीक तरीके से लागू नहीं किया। ‘अर्थक्रांति’ नाम के संगठन के द्वारा ही देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी को यह आईडिया उस वक्त दिया गया जब मन की बात से लेकर अपने फेसबुक पेज के माध्यम से आम लोगों व देश हित में काम करने वाली संस्थाओं से जवाब मांगा गया था कि काले धन को कैसे रोका जाए। जिसके जवाब में ‘अर्थक्रांति’ नाम की संस्था की ओर से पीएम मोदी को एक प्रपोजल भेजा गया था। जिसमें नोट बंदी से लेकर कालेधन को देश के बैंक में कैसे लाया जाए और आम लोगों को कैसे राहत पहुंचायी जाए यह भी सुझाव दिया गया था। संस्था ने दावा किया कि उन्होंने ही सरकार को नोटबंदी का सुझाव दिया था। मुंबई मिरर की एक खबर के अनुसार, ‘अर्थक्रांति’ नाम के संगठन के संस्थापक अनिल बोकिल ने कहा कि सरकार ने उनका सुझाव माना तो सही लेकिन पूरे तरीके से नहीं। अनिल ने कहा कि वह आने वाले दिनों में फिर से पीएम मोदी से मिलने वाले हैं,लेकिन अभी पीएमओ ने उनकी मुलाकात के लिए वक्त तय नहीं किया है। अनिक के मुताबिक, उन्होंने जुलाई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मीटिंग की थी और नोटबंदी का सुझाव दिया था। अनिल का दावा है कि उन्होंने सरकार को कुल पांच प्वाइंट बताए थे लेकिन सरकार ने उनमें से सिर्फ दो को ही लागू किया। अनिल का मानना है कि उसकी वजह से ही लोगों को परेशानी हो रही है।
अनिल के संगठन ने दावा किया कि उनके संगठन द्वारा जो रोडमैप बनाया गया था उससे आम लोगों को कोई परेशानी नहीं होती। अनिल ने मुंबई मिरर को बताया कि उन्होंने कहा था कि सरकार को नोटबंदी के साथ-साथ केंद्र और राज्य द्वारा लगाए गए टैक्स को भी हटा देना चाहिए था। अनिल ने कहा कि उन्होंने बैंक द्वारा लिए जाने वाले ट्रांसेक्शन टैक्स, लीगल लिमिट को भी हटाने की मांग की थी।
वहीं इस संबंध में दास्तावेज इंडिया ने ‘अर्थक्रांति’ के संस्थापक सदस्य अभिजीत धर्माधिकारी से बात की। जिसमें धर्माधिकारी ने बताया कि उनका संगठन पिछले 16 सालों से कालेधन को खत्म करने पर काम कर रहा है। अभिजीत ने बताया कि साल 2000 में संगठन की शुरुआत ही कालेधन के मुद्दे के साथ हुयी है। उनका दावा है कि मोदी जी द्वार कदम तो ठीक उठाया गया, लेकिन इसे गंभीरता के साथ नहीं लिया गया। जिसका नतीजा आज सबके सामने है। उन्होंने कहा कि सबसे बडी चूक यह है कि पैसे जमा करने की कोई सीमा नहीं होनी चाहिए थी। जिसके पास जितना भी पैसा होता वह चाहे सफेद है या फिर काला उसपर कोई टैक्स नहीं लगना चाहिए था। एक बार की छूट हर उस व्यक्ति को दी जानी चाहिए थी जो लंबे समय से आयकर की चोरी कर रहा है और बडी रकम बैंक के स्थान पर घर में या कही और रखता है। लेकिन मोदी सरकार द्वारा पैसे जमा करने की सीमा बांधने व समय समय पर नेए नए आडिनेश लाने से सारा मामला अधर में फंस गया है। जिससे निकलने के लिए संगठन कोर से पुनः मोदी जी को सुझव दिये जयेंगे।
गौरतलब है कि मोदी सरकार द्वारा 8 नवंबर को नोटबंदी का ऐलान किया गया था। उसमें बताया गया था कि 500 और 1000 के नोट 30 दिसंबर 2016 के बाद से नहीं चला करेंगे। इसके साथ ही 2000 और 500 रुपए के नए नोटों के आने की जानकारी भी दी गई थी। तब से ही बैंक और एटीएम के बाहर लोगों की लाइन खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। लोग अपने नोट बदलवाने के लिए बैंकों के चक्कर काटने को मजबूर हैं। अगर ‘अर्थक्रांति’ संगठन की बात को सही रूप में मोदी जी द्वारा मान लिया जाता तो सायद आज देश में यह स्थिति नहीं होती जो आज हो गयी है और ये बात भी दूर नहीं है कि आने वाले समय पर देश को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पडेंगे।