आडवाणी बाद बीजेपी के इन कद्दावर नेताओं की उम्मीदवारी पर संशय
लोकसभा चुनाव में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की तरह ही कभी भाजपा के कद्दावर नेता रहे मुरली मनोहर जोशी और कलराज मिश्र भी शायद इस बार चुनाव मैदान में न उतरें। आडवाणी को टिकट नहीं मिलने के बाद इन दोनों नेताओं की उम्मीदवारी पर भी संशय बढ़ गया है।
राममंदिर आंदोलन के दौरान लालकृष्ण आडवाणी के साथ मुरली मनोहर जोशी भी कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे थे। उस वक्त रामभक्तों का नारा था ‘भाजपा की तीन धरोहर, अटल, आडवाणी मुरली मनोहर। यह वह दौर था जब भाजपा सिर्फ इन तीन नेताओं के नाम से ही जानी जाती थी।
वहीं, कलराज मिश्र की बात करें तो वह संघ के पूर्णकालिक प्रचारक रहे। बाद में वह प्रदेश भाजपा के चार बार अध्यक्ष रहे।
पार्टी में ब्राह्मण समाज को जोड़ने के साथ ही पूर्वांचल खासतौर पर गाजीपुर और आसपास के जिलों में उनकी गहरी पकड़ रही। पार्टी ने उन्हें वर्ष 2012 में लखनऊ पूर्वी से विधानसभा चुनाव लड़ाया और उन्होंने जीत दर्ज की। बाद में वर्ष 2014 में उन्हें देवरिया से लोकसभा का टिकट दिया गया। जीत हासिल करने के बाद में वह केंद्रीय मंत्री बने।
मुरली मनोहर जोशी का चुनावी सफर
-वर्ष 1996, 1998, 1999 में इलाहाबाद से सांसद रहे
-2004 में सपा के रेवतीरमण से हारे
-2009 में वाराणसी से जीते
-2014 में कानपुर से चुनाव जीते
-दो बार राज्यसभा सांसद भी रहे
कालराज मिश्र
-1978 से 1984 और फिर 2001 से लगातार 2012 तक राज्यसभा सांसद रहे
-वर्ष 2012 में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़े और जीते
-कल्याण सिंह व राजनाथ सिंह सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री रहे