उत्तराखंड में जलविद्युत परियोजनाओं पर लगी रोक हटाने की तैयारी, आज दिल्ली में होगी बैठक
राज्य में 70 से अधिक छोटी बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं की स्थापना व उनके संचालन को लेकर आज पीएम के मुख्य सचिव नृपेंद्र मिश्र की मौजूदगी में अहम बैठक दिल्ली में होगी।ऊर्जा विभाग के सूत्रों के मुताबिक बैठक में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण, केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय व जल संसाधन मंत्रालय के अलावा राज्य की ऊर्जा सचिव समेेत तमाम आला अफसर हिस्सा लेंगे। सूत्रों की मानें तो बैठक में सुप्रीम कोर्ट व एनजीटी में जलविद्युत परियोजनाओं को लेकर हो रही सुनवाई समेत इन परियोजनाआें में से कई को अनुमति दिए जाने के मुद्दे पर चर्चा होगी। उच्च स्तरीय बैठक के लिए सरकार व शासन के स्तर पर तैयारियों को भी पूरा कर लिया गया है।
उत्तराखंड जलविद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) के आंकड़ों पर नजर डालें तो राज्य में 70 से अधिक ऐसी छोटी बड़ी जलविद्युत परियोजनाएं हैं जिनका निर्माण किया जाना है। इनमें से ज्यादातर परियोजनाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट व एनजीटी में सुनवाई हो रही है, जिस कारण ये परियोजनाएं ठप पड़ी हैं। इनमें कई परियोजनाएं ऐसी हैं जिनका निर्माण भी शुरू किया जा चुका है, जिस पर करोड़ों रुपये खर्च भी कर दिए गए, जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट व एनजीटी में पहुंच गया। ऐसे में राज्य सरकार व यूजेवीएनएल को बिजली उत्पादन के क्षेत्र में करारा झटका लगा है। ऐसे में इन परियोजनाओं में से कई परियोजनाओं के निर्माण का रास्ता साफ करने को लेकर पीएमओ के स्तर पर पहल की गई है।
ऊर्जा विभाग के सूत्रों की मानें तो सरकार दो दर्जन से अधिक जलविद्युत परियोजनाओं पर तो रोक लगाने को तैयार हैं जिनसे औसतन 4000 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। जबकि बाकी परियोजनाओं के निर्माण को लेकर हरी झंडी चाहती है।
इन जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण पर लगी है रोक
यूजेवीएनएल अफसरोें की ही मानेें तो टिहरी स्टेज एक, विष्णु प्रयाग, भीलगंगा, मनेरीभाली द्वितीय, काली गंगा (प्रथम), तपोवन विष्णुगाड, सिंगोली भटवारी, बावला नंदप्रयाग, नंदप्रयाग लंगासू, देवसारी, मेलखेत, उर्गम, बनाला, ऋषिगंगा, फाटा भ्योंग, मद्महेश्वर, देवाल, बिरही गंगा, अगुंडा थाटी, झेलम तमक, स्वातीगाड, कर्मोली, अलकनंदा, लाता तपोवन, कोटबूड़ाकेदार, कोटलीमेट प्रथम व द्वितीय, पीनलगाड, असीगंगा की तीनों जलविद्युत परियोजनाओं समेत 70 छोटी बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं पर विभिन्न कारणोें के चलते एनजीटी व सुप्रीम कोर्ट के स्तर पर रोक लगाई गई है। हालांकि परियोजनाओं के निर्माण पर लगाई रोक को लेकर एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है लेकिन अभी यूजेवीएनएल को कोई राहत नहीं मिल पाई है।
जलविद्युत परियोजनाओं से 24500 मेगावाट की क्षमता, उत्पादन महज 3987 मेगावाट का
यूजेवीएनएल के आंकड़ों पर नजर डालें तो राज्य में जलविद्युत परियोजनाओं से 24500 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो सकता है, लेकिन वर्तमान में जितनी भी जलविद्युत परियोजनाएं संचालित हैं उनसे महज 3987 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। जो बेहद कम है। विभागीय अफसरों का मानना है कि यदि जलविद्युत परियोजनाएं धरातल पर उतरती हैं तो राज्य में बिजली के संकट को दूर किया जा सकता है।
ऊर्जा विभाग के अफसरों ने तैयार किया प्रस्ताव
केंद्र सरकार की उच्च स्तरीय टीम के प्रस्तावित दौरे के मद्देनजर ऊर्जा विभाग के अफसरों ने एक प्रस्ताव तैयार किया है। इस प्रस्ताव के जरिये केंद्रीय टीम को यह समझाने का प्रयास किया जाएगा कि जलविद्युत परियोजनाओं का बनाया जाना राज्य के लिए कितना जरूरी है। यदि परियोजनाओं को हरी झंडी दी जाती हैं। राज्य के विकास में इन परियोजनाओं का कितना बड़ा योगदान होगा।