खुद को युवाओं की पार्टी बनाने की कवायद में जुटी कांग्रेस

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लोकसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस खुद को युवाओं की पार्टी बनाने में जुट गई है। नए सिरे से संगठन बनाने की कोशिशों के तहत पार्टी संगठन में पचास फीसदी से अधिक पदों पर चालीस साल से कम उम्र के कार्यकर्ताओं को मौका देगी। इसके साथ महिलाओं को भी संगठन में 33 प्रतिशत हिस्सेदारी मिलेगी। पर इन सभी के लिए संघर्ष जरुरी होगा। संगठन में उसी को जगह मिलेगी, जिसने ब्लॉक, तहसील या जिला स्तर पर आम लोगों की समस्याओं को लेकर संघर्ष किया हो।

कांग्रेस ने हार से सबक सीखते हुए कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में जिला व ब्लॉक समितियां भंग कर दी है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि चुनावी राज्यों को छोड़कर अगले कुछ दिनों में सभी प्रदेशों में समितियां भंग कर दी जाएगी। पार्टी बूथ से लेकर प्रदेश स्तर तक नया संगठन खड़ा करेगी। इसमें युवाओं और महिलाओं की अधिक भागीदारी के साथ जातीय समीकरणों का भी ध्यान रखा जाएगा। वरिष्ठ नेताओं को उनके अनुभव के मुताबिक संगठन में जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। 

पार्टी ने तय किया है कि नए संगठन में एसएसयूआई, यूथ कांग्रेस, सेवा दल, महिला कांग्रेस और दूसरे कांग्रेस संगठनों में काम करने वाले लोगों को मौका दिया जाएगा। पूर्वी उत्तर प्रदेश में संगठन में फेरबदल के प्रभारी अजय कुमार लल्लू ने ‘हिंदुस्तान’ से कहा कि उन्हीं लोगों को संगठन में महत्वपूर्ण पद दिए जाएंगे,जिन्होंने सड़को पर संघर्ष किया हो। संगठन में चालीस साल से कम उम्र के लोगों को भी तरजीह दी जाएगी।  

वहीं, महिलाओं को संगठन में 33 फीसदी हिस्सेदारी सुनिश्चित की जाएगी। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हम सभी को साथ लेकर चलने की कोशिश करेगें। जहां तक पार्टी के पुराने नेताओं का सवाल है, उनका अनुभव हमारे के लिए बेहद अहम है। हम उनके अनुभव का पूरा फायदा उठाने का प्रयास करेंगे। पर इस पूरी कवायद में यह साफ है कि आने वाले वक्त में कांग्रेस युवाओं की पार्टी होगी।  

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