गठबंधन में रार, देवगौड़ा बोले- कर्नाटक में कभी भी हो सकते हैं मध्यावधि चुनाव
पूर्व प्रधानमंत्री और जनता दल सेक्युलर (JDS) चीफ एचडी देवगौड़ा ने कहा कि कर्नाटक में कभी भी मध्यावधि चुनाव हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस का जिस तरह का बर्ताव है, वह जनता देख रही है. मैं कह नहीं सकता कि यह सरकार कब तक टिकेगी.
देवगौड़ा ने कहा, ”मैंने नहीं कहा कि यह गठबंधन होना चाहिए. मैं यह आज कह रहा हूं और कल भी कहूंगा. वे (कांग्रेस) हमारे पास आए और कहा कि आपका बेटा मुख्यमंत्री बनेगा, चाहे जो हो जाए. तब मैं यह नहीं जानता था कि उनके सभी नेताओं के बीच सहमति थी या नहीं. लोकसभा चुनाव के बाद लगता है कि उन्होंने (कांग्रेस) अपनी ताकत खो दी है”.
उन्होंने आगे कहा, ”हमारी तरफ से कोई खतरा नहीं है. मुझे नहीं पता कि यह सरकार कब तक टिकेगी. यह कुमारस्वामी के नहीं बल्कि कांग्रेस के हाथ में है. हमने कैबिनेट में अपनी एक जगह भी उन्हें दे दी. उन्होंने जो कहा, सब कुछ हमने किया”. पूर्व पीएम ने कहा, ”इसमें कोई शक नहीं कि मध्यावधि चुनाव होंगे. वे कहते हैं कि 5 साल हमें समर्थन देंगे. लेकिन लोग उनके बर्ताव को देख रहे हैं.”
एचडी देवगौड़ा ने कर्नाटक में गठबंधन को लेकर भी अहम खुलासा किया. देवगौड़ा ने कहा कि वह वरिष्ठ कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को मुख्यमंत्री देखना चाहते थे. देवगौड़ा ने कहा, मैं गठबंधन के लिए गोंद की तरह था. कांग्रेस चीफ राहुल गांधी और यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने कीर्ति आजाद और अशोक गहलोत को बेंगलुरु भेजा था. हम तीनों ने साथ में बैठक की.
पूर्व पीएम ने आगे कहा, इसके बाद सिद्धारमैया, मल्लिकार्जुन खड़गे, मुनियप्पा और परमेश्वर आ गए. मैंने उनके सामने कहा कि मल्लिकार्जुन खड़गे को मुख्यमंत्री बनाया जाए. इस पर खड़गे ने कहा कि अगर कांग्रेस आलाकमान राजी होती है तो मुझे स्वीकार है. देवगौड़ा ने बताया, मैंने आजाद का फोन लिया और राहुल गांधी से कहा कि खड़गे को मुख्यमंत्री बनाया जाए. इसके बाद आजाद ने बताया कि कांग्रेस हाई कमान कुमारस्वामी को ही मुख्यमंत्री चाहती है. मैंने उनकी बात मान ली और घर चला गया.
कर्नाटक की 224 सदस्यों वाली विधानसभा के लिए पिछले साल चुनाव हुए थे. इस चुनाव में किसी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था. बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. उसने 104 सीट जीती थीं. वहीं कांग्रेस को 80 और जेडीएस को 37 सीटें मिलीं. खंडित जनादेश के बावजूद बीजेपी ने सरकार बनाने का दावा पेश किया. बीएस येदियुरप्पा ने शपथ भी ले ली. लेकिन जब बात विधानसभा में बहुमत साबित करने की आई तो बीजेपी इसमें फेल हो गई और सरकार गिर गई. इसके बाद कांग्रेस और जेडीएस ने गठबंधन कर लिया. कर्नाटक में सरकार बनाने के लिए 113 सीटों की जरूरत पड़ती है.
लेकिन कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन में खटपट की खबरें आम हैं. दोनों पार्टियां कई बार आरोप लगा चुकी हैं कि बीजेपी राज्य में तख्तापलट करने की हर मुमकिन कोशिश कर रही है. कुछ वक्त पहले विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोप भी लगे थे. लोकसभा चुनाव दोनों पार्टियों के लिए किसी सदमे से कम नहीं था. राज्य की 28 लोकसभा सीटों में से बीजेपी ने 25 सीटें जीतकर सबको हैरान कर दिया. कांग्रेस, जेडीएस और निर्दलीय को 1-1 सीट मिलीं. कहा गया कि दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं के बीच जमीनी स्तर पर कॉर्डिनेशन न होने के बाद ऐसी स्थिति पैदा हुई.
गुरुवार को देवगौड़ा ने राहुल गांधी से कहा कि वह कांग्रेस और जेडीएस के कुछ नेताओं के सार्वजनिक बयानों से बेहद दुखी हैं. चुनाव के नतीजे आने के बाद दोनों दलों के नेता खुलकर एक-दूसरे पर तंज कस रहे हैं. जेडीएस चीफ ने कहा, निर्दलीयों को कैबिनेट में जगह मिलने के बाद तो कांग्रेस और जेडीएस नेताओं के बीच तू-तू मैं-मैं नहीं होनी चाहिए. 13 महीने पुराने गठबंधन को और मजबूत करने के लिए हाल ही में दो निर्दलीय विधायकों को कैबिनेट में जगह दी गई है.