जजों की नियुक्ति के मामले में कॉलेजियम ने सरकार के साथ मिलाया सुर, लौटाए गए थे 11 नाम
कुछ समय पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम द्वारा जजों की नियुक्ति के लिए दिए नामों को लौटाया था। जिसके बाद न्यायपालिका और केंद्र सरकार के बीच तनाव की स्थिति सी बन गई थी। यह नाम जस्टिस रंजन गोगोई के मुख्य न्यायधीश बनने से पहले लौटाए गए थे। इसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट, जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट और पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के न्यायधीशों के लिए नाम सुझाए गए थे।अब जस्टिस रंजन गोगोई, एके सिकरी और एसए बोबडे ने नामों को ठुकराए जाने की वजहों को स्वीकार करते हुए जम्मू कश्मीर के न्यायधीश की नियुक्ति के केस में आपत्तियों के संबंध में अतिरिक्त जानकारी मांगी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट और जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के न्यायधीशों के नामों के ठुकराए जाने के बाद कॉलेजियम ने इन नामों के ऊपर और विचार नहीं करने का फैसला किया है। कमेटी ने इन नामों को आगे नहीं भेजने का फैसला किया है।
4 नवंबर 2017 को पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के सात वकीलों की नियुक्ति से जुड़ी आपत्तियों को कमेटी ने मानते हुए वापस भेज दिया है। पिछले साल कॉलेजियम ने इन नामों को लेकर विचार स्थगित कर दिया था। 16 जनवरी को मामले को देखते हुए कॉलेजियम के मुखिया जस्टिस गोगोई ने कहा कि हमनें सभी दस्तावेजों की जांच की है और कानून मंत्रालय की आपत्तियों को भी देखा है। सभी चीजों को मद्देनजर रखते हुए हमनें इन सात वकीलों के नामों को पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट को वापस भेज दिया है।
पिछले साल चार सितंबर को दिल्ली हाईकोर्ट की 13 अक्टूबर 2017 के नौ वकीलों के जज बनाए जाने की सिफारिशों पर पांच के नाम सरकार को भेजकर चार के नाम स्थगित कर दिए थे। 16 जनवरी को इन चार नामों पर विचार करते हुए कॉलेजियम ने दो नामों को दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश को पुनर्विचार के लिए लौटा दिए। बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी 28 नवंबर 2017 को छह न्याययिक अधिकारियों को जज बनाए जाने की सिफारिश की थी।
पिछले साल 11 सितंबर को कॉलेजियम ने दो नामों न्यायिक अधिकारियों से संबंधित सिफारिशों को स्थगित किया था। 16 जनवरी को कॉलेजियम ने पीवी गनेडियावाला के नियुक्ति को हरी झंडी दे दी जबकि दूसरे नाम को बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायधीश के पास पुनर्विचार के लिए लौटा दिया।