दिल्ली पुलिस ने नहीं की थी सिख दंगों की सही जांच: सीबीआई
सिख विरोधी दंगा मामले को अंजाम तक पहुंचाने में सीबीआई के वकीलों की दलीलों की अहम भूमिका रही है। सीबीआई ने जहां एक ओर दिल्ली पुलिस की कार्य शैली पर सवाल उठाया, वहीं दूसरी ओर घटना की चश्मदीद जगदीश कौर के बयान को अपने केस का आधार बनाया। सीबीआई की ओर से जिरह करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता आरएस चीमा व डीपी सिंह ने कहा कि इस मामले को समग्र रूप से देखने की जरूरत है। यह ऐसा मामला है, जिसमें हजारों सिखों की हत्या की गई, उनकी संपत्ति को नष्ट किया गया और धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचाया गया।
एजेंसी के वकीलों ने कहा इस मामले में दिल्ली छावनी थाना पुलिस ने सबसी पहली एफआईआर संख्या 416/84 दलजीत कौर की शिकायत पर दर्ज की थी। उसने दंगा करने व अपना घर जलाने, उसके पति अवतार सिंह की पिटाई के बाद हत्या का आरोप लगाया था।इस थाने में 22 एफआईआर दर्ज की गई थीं। अकेले दिल्ली छावनी क्षेत्र में ही 341 सिखों की हत्या की गई थी, लेकिन दिल्ली पुलिस ने किसी मामले की जांच नहीं की।
सीबीआई ने कहा कि दंगों की जांच के लिए दिल्ली पुलिस ने दंगा विरोधी सेल बनाई थी। इसके सामने जगदीश कौर ने बयान दिया था लेकिन उसके बयान को पूरी तरह से नकार दिया गया। किसी ने हत्या की शिकायत नहीं की तो एसएचओ को खुद आगे आकर एफआईआर दर्ज करनी चाहिए थी।
एजेंसी ने कहा कि जगदीश कौर एक साहसी व सच्ची महिला है। उसने कई स्थानों पर बयान दिया और वह अपने बयान पर हमेशा टिकी रही। उसने खुद को खतरे में डालकर तीन नवंबर 1984 को पालम कॉलोनी पुलिस चौकी को शिकायत की लेकिन उसकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।