नगालैंड: अलग राज्य की मांग पर बात करने को तैयार हुआ गृह मंत्रालय, हुई त्रिपक्षीय वार्ता
नगालैंड में नगा शांति समझौते को अंतिम रूप देने का इंतजार किया जा रहा है। इसी बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय पूर्वी नागालैंड पीपुल्स संगठन (ईएनपीओ) की मांगों पर बातचीत करने के लिए तैयार हो गया है। (ईएनपीओ नगा की 6 जनजातियों की शीर्ष संस्था है, जो संविधान के अंतर्गत अलग राज्य की मांग कर रहे हैं।
अधिकारियों ने बताया कि ईएनपीओ, नगालैंड सरकार और गृह मंत्रालय के बीच विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) के प्रतिनिधित्व में पिछले महीने त्रिस्तरीय बातचीत हुई। 2014 में सरकार ने पूर्व खुफिया अधिकारी आरएन रवि को नगा वार्ताकार के तौर पर नियुक्त किया था ताकि वह सभी हितधारकों के साथ बातचीत कर सकें।
हालांकि चार साल से ज्यादा समय बीतने और कई दौर की बातचीत के बाद केंद्र अभी तक शांति समझौते को लेकर नहीं आ पाया है। गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि वह केवल ईएनपीओ की मांगों पर चर्चा करने के लिए तैयार हुए हैं और कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। सूत्रों का कहना है कि राज्य का विभाजन हो सकता है क्योंकि ईएनपीओ फ्रंटियर नगालैंड की मांग कर रहा है।
ईएनपीओ के अध्यक्ष खोईवांग कोनयाक ने कहा, ‘हमारी मांग और राजनीतिक मसले नगा के दूसरे समूहों से अलग हैं। हम 6 जातियों को लेकर चिंतित हैं जिसमें चांग, कोनयाक, खियामिनुंगन, फोम, संगतम और यिमचुंगेर शामिल हैं।’ सितंबर में ईएनपीओ ने केंद्र के राहत पैकेज को यह कहते हुए ठुकरा दिया था कि फ्रंटियर नगालैंड से कम कुछ भी स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
ईएनपीओ ने हाल ही में राज्य सरकार से तीन दौर की द्वीपक्षीय बातचीत की। अधिकारियों ने बताया कि केंद्र, राज्य और ईएनपीओ के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है। ईएनपीओ चार पूर्वी जिलों- तुएनसांग, मोन, लोंगलेंग और किफायर को मिलाकर एक अलग राज्य बनाने की मांग एक दशक से कर रहा है। संस्था ने पहली बार प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इससे संबंधित एक ज्ञापन 25 नवंबर, 2010 को सौंपा था। जिसे केंद्र ने विचार के लिए राज्य के पास भेज दिया था।