पिछले छह महीनों में विपक्ष के खिलाफ 15 और भाजपा के खिलाफ एक छापेमारी की कार्रवाई : रिपोर्ट
वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले राजस्व विभाग ने चुनाव आयोग की तरफ से जारी एक एडवाइजरी के जवाब में कहा है कि वह सभी के लिए ‘निष्पक्ष’ और ‘न्यायिक’ रहा है. लेकिन बीते छह महीनों का रिकॉर्ड बताता है कि इस दौरान उसके तहत आयकर विभाग ने विपक्षी दलों के नेताओं और उनके सहयोगियों के यहां 15 बार छापेमारी की है. इनमें पांच कर्नाटक, तीन तमिलनाडु, दो आंध्र प्रदेश, दो दिल्ली और मध्य प्रदेश, जम्मू-कश्मीर व उत्तर प्रदेश में एक-एक बार छापेमारी की गई. इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक इसी अवधि में उत्तराखंड में भाजपा के एक कार्यकर्ता के ठिकानों पर भी छापे मारे गए थे, लेकिन पार्टी ने उससे दूरी बना ली थी.
आयकर विभाग इस समय मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता कमलनाथ से जुड़े सहयोगियों के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर चर्चा में है. इससे पहले आंध्र प्रदेश में तिरुमला तिरुपति देवस्थानम के चेयरमैन, तेलेगु देशम पार्टी (टीडीपी) के विधानसभा प्रत्याशी पुत्ता सुधाकर यादव और टीडीपी के ही नेता व व्यापारी सीएम रमेश के कार्यालयों पर छापेमारी की कार्रवाई की गई थी.
रिपोर्ट के मुताबिक बीती 29 मार्च को आयकर विभाग ने तमिलनाडु में डीएमके के कोषाध्यक्ष और विधायक दुरई मुरुगन के कार्यालयों पर छापेमारी की. उनके पुत्र डीएम कथीर आनंद द्वारा चलाए जा रहे संस्थानों पर कार्रवाई की गई. उससे ठीक एक-दो दिन पहले 27 और 28 मार्च को जेडीएस व कांग्रेस-शासित कर्नाटक में कर अधिकारियों ने छापेमारी की. यहां मंड्या में जेडीएस नेता और राज्य सरकार में मंत्री सीएस पुत्ताराजू के कार्यालयों की तलाशी ली गई. पुत्ताराजू को कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के बेटे निखिल के चुनाव प्रचार अभियान का काम सौंपा गया है.
वहीं, उसी दिन आय कर विभाग ने कुमारस्वामी के भाई और पीडब्ल्यूडी मंत्री एचडी रेवन्ना के सहयोगियों के यहां भी छापेमारी की थी. इसके अलावा विभाग ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी के दो नेताओं- कैलाश गहलोत और नरेश बाल्यान के यहां भी कार्रवाई की थी. वहीं, उत्तर प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी और बसपा मुखिया मायावती के करीबी नेत राम के कार्यलयों पर पिछले महीने छापेमारी की गई थी.
आय कर विभाग की इन कार्रवाइयों को लेकर विपक्ष के नेताओं ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया था कि वह चुनाव के समय विपक्ष को प्रताड़ित करने के लिए सरकारी मशीनरी और भ्रष्ट अधिकारियों का इस्तेमाल करती है. कुमारस्वामी ने 28 मार्च को एक ट्वीट में यह बात कही थी. वहीं, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया था कि प्रवर्तन निदेशालय और आईटी के जरिये विपक्षी नेताओं के यहां रेड मारने के लिए विशेष टीमें बनाई गई हैं.
फिलहाल कर अधिकारियों की कार्रवाइयों का केंद्र कांग्रेस-शासित मध्य प्रदेश बना हुआ है. इसे लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है, ‘पिछले तीन दिनों से मुझ पर दबाव बनाने का प्रयास किया गया है. मेरे राजनीतिक करियर में कोई भी मुझे विवश नहीं कर पाया है. यह (कार्रवाई) मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए किया गया प्रयास है.’
वैसे इन कार्रवाइयों से जुड़े आंकड़े देखें तो एक दिलचस्प जानकारी सामने आती है. रिपोर्ट के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2016 से वित्तीय वर्ष 2018 के तीन सालों के समय के दौरान आयकर विभाग ने छापेमारी और जब्ती के 2,126 अभियान चलाए. लेकिन इनसे जुड़े केवल 89 मामलों में आरोपितों को दोषी ठहराया जा सका. अखबार ने बताया कि 2016 में 447, 2017 में 1,152 और 2018 में (फरवरी तक) 527 कार्रवाइयां की गईं. लेकिन इनसे जुड़े मामलों में केवल (क्रमशः) 28, 16 और 45 लोगों को दोषी साबित किया जा सका. अखबार ने राजस्व विभाग को मेल कर छापेमारी व जब्ती की कार्रवाइयों के पीछे कथित राजनीतिक भूमिका लेकर सवाल किए थे. उसके मुताबिक विभाग ने अभी तक उसके सवालों के जवाब नहीं दिए हैं.