पिलग्रिम मार्केटिंग के माध्यम से किसानों की आय में बढ़ोत्तरी
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने शनिवार को न्यू कैंट रोड़ स्थित मुख्यमंत्री आवास में सुगन्धित तेलों की पिलग्रिम मार्केटिंग का शुभारम्भ किया। उन्होंने इस अवसर पर प्रदेश के 20 किसानों को पैकिंग मेटिरियल किट भी वितरित की। उन्होंने इस अवसर पर सेंटर फाॅर यरोमेटिक प्लांट्स(कैप) के प्रचार-प्रचार से संबंधित सीडी भी रिलीज़ की, इससे यहां के सुगन्धित तेलों की बेहतर मार्केटिंग में मदद मिलेगी। उन्होंने सगन्ध पौधों के कृषिकरण के 50 कलस्टर विकसित करने पर बल देते हुए इसका प्रस्ताव तैयार करने को कहा। हम इस दिशा में कार्य करते हुए दिखाई दे। उन्होंने कहा कि सगन्ध पौध की कृषि को जंगली जानवरों से होने वाले नुकसान से बचाने के लिये सुरक्षा दीवार बनाने के लिए कोपरेटिव बैंक ऋण उपलब्ध करायेगा, इसमें सरकार भी ऋण अदायगी में मदद करेगी, पैकेजिंग मटेरियल पर 50 प्रतिशत सब्सिडी व वेट की धनराशि को प्रोत्साहन के रूप में दिये जाने का उन्होंने आश्वासन दिया। इसकी बेहतर मार्केटिंग की व्यवस्था करने पर उन्होंने बल दिया ताकि देश-विदेश में यहां के सगन्द उत्पादों की पहंुच हो सके। सोशल मीडिया को भी इसका माध्यम बनायें। सगन्ध तेेलों की अलग-अलग केटगरी बनाकर इसे यहां के चारधामों आदि के नाम पर रखने का उन्होंने सुझाव दिया।
उन्होंने कहा कि राज्य के किसानों द्वारा उत्पादित विभिन्न सगन्ध तेलों जैसे लेमनग्रास, जापानी मिन्ट, सिनामन(दालचीनी), सिट्रस, यूकेलिप्टस, आर्टिमिशिया एवं लैन्टाना को राज्य धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों पर वहां के स्थानीय कृषकों द्वारा छोटी पैकिंग में मार्केटिंग करने के उद्देश्य से यह कार्यक्रम लांच किया जा रहा है। इससे जहां एक ओर उत्तराखण्ड के किसानों द्वारा उत्पादित सुगन्ध सीधे उपभोक्ता तक पहुंचेगी, वहीं दूसरी ओर पर्यटक/तीर्थ यात्रियों को राज्य में उत्पादित शुद्ध सुगन्धित तेल उपयोग हेतु प्राप्त होंगे।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य पिलग्रिम मार्केटिंग के माध्यम से किसानों की आय में बढ़ोत्तरी करना है तथा देवभूमि उत्तराखण्ड में उत्पादित शुद्ध सुगन्धित तेलों की खुशबू को पूरे देश व दुनिया में तीर्थाटन/पर्यटन के माध्यम से फैलाना है। भविष्य में ये सुगन्ध उत्तराखण्ड से ले जाई गई, सुगन्धों को सुगेघें यात्रियों के मनों/मस्तिक पर उत्तराखण्ड की एक अमिट छाप रहेगी।
उद्यान मंत्री प्रीतम पंवार ने कहा कि सेंटर फाॅर यरोमेटिक प्लांट्स के माध्यम से विगत वर्षाें में लगभग 109 एरोमा कलस्टर विकसित किये गये है, जिसमें 178 आसवन यूनिट संचालित है। प्रदेश में सगन्ध खेती से लगभग 18000 किसान जुड़े है, जो कि लगभग 7000 है0 भूमि में इसकी खेती कर लगभग 500 टन तेल का उत्पादन कर हें है, जिसकों ‘‘पिलग्रिम मार्केटिंग’’ के माध्यम से विभिन्न कलस्टरों के आस-पास स्थित धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों पर किसानों के द्वारा फुटकर मार्केटिंग कर सगन्ध काश्तकारों की आय को काफी बढ़ाया जा सकता है तथा किसानों द्वारा उत्पादित तेलों को अच्छी दरों पर बेचा जा सकता है।
इस अवसर पर प्रो0ए0एन0 पुरोहित ने कहा कि सपना साकार हो रहा है जहां कुछ नहीं होता वहां यह फसल होती है। विपरित मौसम में भी इसका उत्पादन होता है। 380 क्राफ्ट यहां है, इनके कलस्टर बनाने पर ध्यान देना होगा।