September 22, 2024

फीडबैक लेकर प्रियंका लौटीं, कार्यकर्ता बोले, हम गठबंधन न करें तो बेहतर

तीन दिन, 45 घंटे और 37 लोकसभा सीटें। कार्यकर्ताओं से फीडबैक में हर कोई कमोबेश यही कहता, ‘ दीदी हम गठबंधन न करें तो बेहतर होगा। सपा संग विधानसभा चुनाव में गठबंधन किया तो सात पर सिमट गए। इस बार सावधानी बरतनी होगी।’ कार्यकर्ताओं के कुछ ऐसे ही जवाबों और सवालों के लंबे दौर के बाद प्रियंका गांधी गुरुवार की तय बैठकें शुक्रवार सुबह साढ़े चार बजे तक निपटाने के बाद नई दिल्ली वापस लौट गईं।
 
उन्होंने मैराथन बैठकों में हर जिले के नेताओं-कार्यकर्ताओं के साथ सिलसिलेवार लोकसभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा की। संगठन को संजीवनी देने के उपायों पर चर्चा की तो कार्यकर्ताओं ने उन्हें चुनावी गठबंधन न करके सभी लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की राय दी। चुनाव लड़ने के कार्यकर्ताओं के आग्रह को उन्होंने विनम्रता से टाल दिया। गुटबाजी से ऊपर उठकर पार्टी प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करने की अपील भी की।

सपा-बसपा गठबंधन 
अधिकांश जिलों के कार्यकर्ताओं ने प्रियंका गांधी से सपा-बसपा से गठबंधन न करने का आग्रह किया। कार्यकर्ताओं ने खुलकर कहा कि अगर 2017 में समाजवादी पार्टी से गठबंधन न किया होता तो कांग्रेस की कम से कम 50 सीट आतीं और भाजपा 250 के पार न जाती। 

संगठन में फिलहाल बड़ा बदलाव नहीं 
पदाधिकारियों को लेकर जिले-जिले से खूब शिकायत हुईं। कार्यकर्ताओं ने बताया कि कुछ बड़ों ने किस तरह संगठन के पदों पर कब्जा कर लिया है। कार्यकर्ताओं ने समस्याएं भी खूब बताईं। तमाम लोगों की शिकायत उन्होंने लिखीं। कार्यकर्ताओं के मोबाइल नंबर भी लिए। प्रियंका ने माना कि कार्यकर्ताओं की संगठन को लेकर शिकायत सही हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव को लेकर इतना कम वक्त है कि फिलहाल कोई बड़ा बदलाव नहीं हो पाएगा। बाद में, जरूर होगा। 

इलाहाबाद, लखनऊ, वाराणसी सभी ने दिया चुनाव लड़ने का न्योता
फूलपूर, लखनऊ, इलाहाबाद, सुलतानपुर, वाराणसी लगभग सभी जिलों के कार्यकर्ताओं ने उनसे अपने-अपने यहां से चुनाव लड़ने का आग्रह किया। कुछ बैठकों में उन्होंने इस आग्रह को विनम्रता से टाल दिया तो एक बैठक में उन्होंने यह भी कहा कि वह चुनाव लड़वाने आईं हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं को यह भी बताया कि वह 2019 लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी। इसके बजाय वह यूपी में कांग्रेस के संगठन को मजबूत करने और 2022 विधानसभा चुनाव में जीत की ओर ध्यान देंगी।

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सियासी दृष्टि से पूर्वी यूपी बेहद अहम
प्रियंका गांधी को जिस पूर्वी उत्तर प्रदेश की 41 सीटों की जिम्मेदारी दी गई है, वहां भाजपा बहुत मजबूत हैं। पीएम नरेन्द्र मोदी की वाराणसी और सीएम योगी आदित्यनाथ की गोरखपुर सीट भी इसी इलाके में हैं। चुनाव में वक्त भी कम है, लिहाजा प्रियंका के सामने चुनौती कठिन है। 

मजबूत प्रत्याशी
हर लोकसभा सीट पर जिताऊ प्रत्याशी देने की कवायद भी की। लोकसभा सीट के जातीय-क्षेत्रीय संतुलन, पार्टी को बीते चुनाव में मिले वोट और किसको प्रत्याशी बनाने पर राय ली। मिलने वालों में टिकट के दावेदार भी थे।


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