भारतीयों को H-1B वीजा देने की लिमिट तय कर सकता है अमेरिका, कर्मचारियों को होगा नुकसान
भारतीय आईटी कंपनियों को अमेरिका जल्द ही एक बड़ा झटका दे सकता है। ट्रंप प्रशासन भारतीय आईटी पेशेवरों को जारी होने वाले एच1-बी वीजा की लिमिट को तय कर सकता है। इससे टीसीएस, इंफोसिस और विप्रो जैसी प्रमुख भारतीय आईटी कंपनियों पर असर पड़ेगा। इसके चलते गुरुवार को शेयर बाजार में इन कंपनियों के शेयरों में बड़ी गिरावट देखने को मिली।
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, अमेरिका भारत को एच-1बी वीजा देने की लिमिट 10 फीसदी से 15 फीसदी तक सीमित करने पर विचार कर रहा है। बता दें कि हर साल अमेरिका 85,000 एच-1बी वीजा जारी करता है और इनमें से 70 फीसदी वीजा भारतीय कर्मचारियों को ही मिलते हैं। फिलहाल किसी भी देश के लिए एच1-बी वीजा लेने के लिए कोई लिमिट तय नहीं है।
इस संदर्भ में दो भारतीय अधिकारियों ने बताया कि पिछले हफ्ते उन्हें अमेरिकी योजना के बारे में बताया गया था। रॉयटर्स के अनुसार, अमेरिका उन देशों के लिए एच-1बी वीजा की सीमा तय करने की सोच रहा है, जो विदेशी कंपनियों को अपने यहां डाटा जमा करने के लिए बाध्य कर रही हैं।
आईटी कंपनियों को होगा नुकसान
टीसीएस और इंफोसिस जैसी बड़ी कंपनियां एच-1बी वीजा पर अपने इंजीनियर और डेवलपर को अमेरिका भेजती हैं। इसलिए इससे आईटी सेक्टर को काफी नुकसान होगा। इतना ही नहीं, आपको बता दें कि 150 अरब डॉलर यानी 10.5 लाख करोड़ रुपये की भारतीय आईटी इंडस्ट्री के लिए अमेरिका सबसे बड़ा बाजार है।
अमेरिका हर साल जारी करता है एच-1बी वीजा
अमेरिका हर साल दूसरे देशों के कर्मचारियों को अपने यहां काम करने की मंजूरी देने के लिए एच-1बी वीजा जारी करता है। शुरू में इसके तहत अमेरिका में तीन साल तक काम करने की मंजूरी मिलती है। लेकिन बाद में इस छह साल तक बढ़ाया जा सकता है।
आईटी कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट
एच-1बी वीजा देने की लिमिट 10 फीसदी से 15 फीसदी तक तय करने की खबर के बाद से आईटी कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिल रही है। एक ओर जहां विप्रो के शेयर में चार फीसदी की गिरावट आई, वहीं गुरुवार को टेक महिंद्रा का शेयर 1.5 फीसदी टूटा। इसके साथ ही टीसीएस के शेयर में भी 0.5 फीसदी से लेकर एक फीसदी तक गिरावट आ चुकी है।