भारतीय कानूनों की गलत व्याख्या कर रहे हैं फेसबुक के मॉडरेटर : रिपोर्ट
सोशल मीडिया पर भड़काऊ कंटेंट के कारण दुनियाभर में हो रही हिंसा को लेकर निशाने पर चल रही फेसबुक इसे नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है, लेकिन उसके मॉडरेटर अपने पास मौजूद गाइडलाइंस के आधार पर भारतीय कानून की गलत व्याख्या करते हुए कई बार धार्मिक टिप्पणियों वाली सही पोस्ट को भी हटा दे रहे हैं। बता दें कि फेसबुक के दुनिया भर में सबसे ज्यादा 29.4 करोड़ यूजर भारत में ही हैं। भारत के बाद 9 करोड़ यूजर के साथ अमेरिका का दूसरा नंबर है।अमेरिकी अखबार न्यूयार्क टाइम्स की बृहस्पतिवार को आई रिपोर्ट के मुताबिक, हर दूसरे मंगलवार की सुबह दर्जनों फेसबुक कर्मचारी नाश्ते पर एकत्र होते हैं और उन नियमों पर चर्चा करते हैं, जिनसे तय किया जाता है कि इस सोशल साइट के 2 अरब से भी ज्यादा यूजर्स को क्या लिखने की छूट है। इस मीटिंग में तय होने वाली गाइडलाइंस पूरी दुनिया में फेक न्यूज और नफरत फैलाने वाले कंटेंट पर नजर रखने वाले फेसबुक के 7,500 से ज्यादा मॉडरेटरों को भेज दी जाती है।
न्यूयार्क टाइम्स को एक पुराने फेसबुक कर्मचारी ने 1400 से ज्यादा पेज वाली रूलबुक उपलब्ध कराई है, जिनमें दुनिया भर के कानून संबंधी जानकारी दी गई है। लेकिन इन दस्तावेजों में गलत और पुरानी जानकारी दी गई है, जिसके चलते भारत ही नहीं कई अन्य देशों में भी ये मॉडरेटर सही पोस्ट को भी गलत ठहराकर हटा देते हैं। हालांकि फेसबुक की ग्लोबल पॉलिसी मैनेजमेंट हेड मोनिका बिकर्ट का कहना है कि इस मामले में सटीकता संभव नहीं है, लेकिन हमने काफी हद तक भड़काऊ कंटेंट और उन्हें पोस्ट करने वालों को प्रतिबंधित करने में सफलता हासिल की है।
कर रहे हैं ऐसी गलतियां
किसी धर्म की निंदा वाली पोस्ट को भारत में कानून का उल्लंघन मानते हैं दस्तावेज, जबकि असल में अफवाह फैलाकर हिंसा भड़काने वाली पोस्ट पर है प्रतिबंध।
दस्तावेज में फ्री कश्मीर स्लोगन वाली पोस्ट के लिए मॉडरेटरों को चेतावनी है कि इससे भारत में फेसबुक ब्लॉक हो सकता है, जबकि यह भारतीय कानून के हिसाब से अभी तक प्रतिबंधित नहीं है।