September 22, 2024

भारत यात्रा से पहले बोले अमेरिका के विदेश मंत्री, ‘मोदी है तो मुमकिन है’

अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने लोकसभा चुनाव के लोकप्रिय नारे ‘मोदी है तो मुमकिन है’ का जिक्र करते हुए भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को अगले चरण पर ले जाने की इच्छा व्यक्त की और कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और मोदी प्रशासन के पास ऐसा करने का अद्वितीय अवसर है। 

पोम्पिओ ने ‘इंडिया आइडियाज समिट ऑफ अमेरिका-इंडिया बिजनेस काउंसिल में भारत की नीति संबंधी अपने अहम भाषण में बुधवार को कहा, ‘जैसा कि प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदी ने अपनी हालिया प्रचार मुहिम में कहा था, ‘मोदी है तो मुमकिन है, तो उसी के ध्यान में रखकर मैं यह पता लगाना चाहता हूं कि हमारे लोगों के बीच क्या संभव है।’

इस महीने नयी दिल्ली की अपनी यात्रा और मोदी एवं विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात के लिए उत्सुक पोम्पिओ ने कुछ ‘बड़े विचारों और बड़े अवसरों का जिक्र किया, जो द्विपक्षीय संबंध को नए स्तर पर ले जा सकते हैं। उन्होंने अपने भारत मिशन की जानकारी देते हुए कहा कि उनका वास्तव में मानना है कि दोनों देशों के पास अपने लोगों, हिंद-प्रशांत क्षेत्र और दुनिया की भलाई के लिए एक साथ आगे बढ़ने का अद्वितीय मौका है।’

पोम्पिओ 24 से 30 जून तक भारत, श्रीलंका, जापान और दक्षिण कोरिया की यात्रा करेंगे। पोम्पिओ ने कहा कि ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका रक्षा सहयोग को एक नए आयाम पर लेकर गया है, उन्होंने हिंद-प्रशांत के लिए साझे दृष्टिकोण को मजबूत किया है और आतंकवाद के लिए पाकिस्तान के अस्वीकार्य सहयोग के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है।

पोम्पिओ ने कहा कि अब ट्रम्प और मोदी प्रशासन के पास ”इस विशेष साझेदारी को और आगे ले जाने का अद्वितीय अवसर है। उन्होंने कहा कि उनके पास अपने नए समकक्ष जयशंकर के रूप में मजबूत साझीदार है। जयशंकर अमेरिका में भारत के राजदूत भी रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘उन्होंने अप्रैल में अपने एक भाषण में कहा था कि वह अमेरिका के साथ और अच्छे संबंध बनाना चाहते हैं और यह भावना दोनों ओर से है। हम आगे बढ़ना चाहते हैं।’ पोम्पिओ ने कहा कि इसके लिए दोनों देशों को अब तक के सबसे मजबूत संबंध बनाने होंगे।

उन्होंने कहा, ‘मजबूत संबंध बनाने का मतलब इन व्यक्तिगत मित्रवत संबंधों को आधिकारिक बनाना है। हमने पिछले साल रक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर ‘2 प्लस 2 वार्ता शुरू की थी। हमने हिंद-प्रशांत में एक जैसी सोच रखने वाले लोकतांत्रिक देशों भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया के बीच चतुर्भुज संवाद (क्वाड डायलॉग) में भी फिर से जान फूंकी है। ये सभी अच्छे कदम हैं।’ उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका को ऐसे सामरिक ढांचे को अपनाना होगा जो दोनों देशों के लिए कारगर हो।

पोम्पिओ ने कहा, ‘हम एक संप्रभु ताकत के तौर पर भारत का सम्मान करते हैं, जिसकी अपनी अनूठी राजनीति और सामरिक चुनौतियां हैं। हम समझते हैं कि चीन या पाकिस्तान जैसे देशों से महासागर पार के बजाए सीमा पार से निपटना अधिक मुश्किल है।’ पोम्पिओ ने कहा, ”यह स्वाभाविक है कि दुनिया में सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश को दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र के साथ हाथ मिलाना चाहिए ताकि वे हिंद-प्रशांत के लिए अपनी साझी सोच को आगे ले जा सकें।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com