केंद्र सरकार ने स्किल इंडिया मिशन को बढ़ावा देने के लिए संकल्प और स्ट्राइव योजनाओं को मंजूरी दी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने विश्व बैंक समर्थित 6,655 करोड़ रूपये की दो नई योजनाओं – आजीविका संवर्द्धन के लिए दक्षता हासिल करने और ज्ञान बढ़ाने (संकल्प) तथा औद्योगिक मूल्य संवर्द्धन हेतु दक्षता सुदृढ़ीकरण (स्ट्राइव) योजनाओं को मंजूरी प्रदान कर दी है। 4,455 करोड़ रूपये की केंद्रीय प्रायोजित संकल्प योजना में विश्व बैंक द्वारा 3,300 करोड़ रूपये ऋण की सहायता शामिल है, जबकि 2,200 करोड़ रूपये की केंद्रीय प्रायोजित स्ट्राइव योजना में विश्व बैंक से इस योजना की आधी राशि ऋण सहायता के रूप में दी जाएगी। संकल्प और स्ट्राइव योजनाएं निष्कर्ष आधारित है, जिसमें व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण में सरकार की कार्यान्वयन रणनीति को आदानों के साथ परिणामों से जोड़ा गया है।
दक्षता प्रशिक्षण के प्रभावी सुशासन और विनियमन शुरू करने के लिए व्यावसायिक शिक्षा में औद्योगिक प्रयासों को चिन्हित करने के दृष्टिगत काफी लंबे समय से एक राष्ट्रीय रूपरेखा की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। ये दोनों योजनाएं मान्यता और प्रमाणीकरण के लिए राष्ट्रीय निकायों की संस्थापना द्वारा इस आवश्यकता को पूरा किया जाएगा। मान्यता एवं प्रमाणीकरण के लिए निकाय दीर्घकालिक एवं अल्पकालिक दोनों ही व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण (वीईटी) की मान्यता और प्रमाणनन का कार्य करेगा। यह संरचना भारत में व्यावसायिक इतिहास में पहली बार विभिन्न केंद्रीय, राज्य और प्राइवेट क्षेत्र के संस्थानों पर ध्यान देगा। जिसके फलस्वरूप गतिविधियों के दोहराव का परिहार होगा और व्यावसायिक प्रशिक्षण में एकरूपता आएगी और इस प्रकार इसका बेहतर प्रभाव होगा।
इन दोनों ही योजनाओं का उद्देश्य दक्षता विकास, प्रशिक्षण के लिए दीर्घकालिक एवं अल्पकालिक दोनों के मामलों में गुणवत्ता एवं बाजार की सार्थकता के दृष्टिगत संस्थागत सुधार लाना है। पिछली अनेक सरकारी योजनाओं जैसे – व्यावसायिक प्रशिक्षण, सुधार परियोजना (वीटीआईपी) में आईटीआई को मजबूत बनाने पर जोर दिया गया था और इन योजनाओं के अतंर्गत 1600 से ज्यादा आईटीआई का पहले ही आधुनिकीकरण किया जा चुका है। स्ट्राइव योजना में आईटीआई के कार्यनिष्पादन में संपूर्ण सुधार हेतु प्रोत्साहित करना है। जिसमें एस एम ई, व्यावसायिक एसोसिएशन और औद्योगिक समूहों को शामिल करके अप्रेंटिसशिप शामिल है। इन योजनाओं का उद्देश्य राज्य दक्षता विकास मिशन (एसएसडीएम), राष्ट्रीय दक्षता विकास निगम (एनएसडीसी), क्षेत्रिय दक्षता परिषद (एसएससी), आईटीआई और राष्ट्रीय दक्षता विकास एजेंसी (एनएसडीए) आदि जैसी संस्थाओं के दक्षता विकास प्रशिक्षण की गुणवत्ता के लिए सुदृढ़ पद्धति का विकास करना है। ये योजनाएं राष्ट्रीय गुणवत्ता अश्योरेंस फ्रेमवर्क (एनक्यूएएफ) सहित राष्ट्रीय दक्षता अर्हता फ्रेमवर्क (एनएसक्यूएफ) के केंद्र एवं राज्य सरकारों की दक्षता विकास योजनाओं के सापेक्ष इनके वैश्विकरण को सहायता प्रदान करेंगी और इस प्रकार दक्षता, विषयवस्तु एवं उत्पाद के मानकीकरण को सुनिश्चित किया जाएगा।
ये योजनाएं राष्ट्रीय दक्षता विकास मिशन 2015, और इसके विभिन्न उप-मिशनों को अपेक्षित महत्व प्रदान करेंगी। ये योजनाएं ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्वच्छता अभियान’ जैसे भारत सरकार के महत्वपूर्ण कार्यक्रमों के अनुरूप है, और इनका उद्देश्य घरेलू एवं ओवरसीज़ आवश्यकताओं के लिए अंतरार्ष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी कार्य दल को विकसित करना है। इस निमित्त 700 औद्योगिक संस्थानों को लाखों महत्वकांक्षा रखने वाले लोगों को रोजगार उन्मुख दक्षता प्रशिक्षण संस्थान स्थापित किए जा रहे है। चुने हुए क्षेत्रों एवं भौगोलिक स्थानों पर ऐसे संस्थानों की स्थापना के लिए प्रस्तावों का चयन करने के लिए एक नवाचार चुनौती निधि मॉडल को लागू किया गया है। विदेशों में प्लेसमेंट के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार दक्षता प्रशिक्षण को केंद्र में रखकर 66+ इंडिया इंटरनेशनल स्टॉलिंग संस्थानों को प्रोन्नत किया जा रहा है। आईआईएससी में 30,000 से ज्यादा इच्छुक लोगों को प्रशिक्षित किया जाएगा, जो अंतर्राष्ट्रीय मूल्यांकन निकायों (आईएबी) से प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकेंगे। भारत भर में 500 आईआईटी को मॉडल आईआईटी के रूप में प्रोन्नत करके तथा उनकी उद्योग सम्बद्धता पर विचार किया जा रहा है। जिनमें ऑनलाइन परीक्षा, केंद्रीयकृत दाखिला, दक्षता में सुधार और प्रणाली में पारदर्शिता जैसे सुधारों को इस्तेमाल किया जाएगा।
राष्ट्रीय दक्षता एवं उद्यमिता नीति, 2015 में क्वालिटी प्रशिक्षकों एवं मूल्यांकनकर्ताओं के एक पूल का निर्माण जैसे गुणवत्ता परिपूर्ण उपायों की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है। संकल्प में प्रशिक्षकों एवं मूल्यांकनकर्ता अकादमियों के स्वत: प्रसूत मॉडलों की स्थापना पर विचार किया गया है। प्राथमिकता क्षेत्रों में 50 से ज्यादा ऐसी अकादमियों की स्थापना की जा जानी है। डीओटी, एमएसडीई ने सरकारी एवं निजी क्षेत्र में 35 से ज्यादा ट्रेडों में प्रशिक्षण का प्रस्ताव लेकर प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण (आईटीओटी) के लिए अनेक संस्थाओं की स्थापना हेतु इस दिशा में पहले ही उल्लेखनीय प्रगति की है। ये योजनाएं दीर्घकालिक एवं अल्पकालिक वीईटी दोनों में ही प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए ऐसे संस्थानों को गति प्रदान करेंगी, जिससे अपेक्षित बदलाव आ सकेंगे। चुने हुए क्षेत्र एवं भौगोलिक अंतर के आधार पर अतिरिक्त प्रशिक्षक अकादमियों की स्थापना की जाएगी।
राज्य स्तर पर राज्य दक्षता विकास मिशनों (एसएसडीएम) की स्थापना और राज्यों को जिला एवं राज्य स्तरीय दक्षता विकास योजनाओं (डीएसडीपी/एसएसडीपी) के लिए राज्यों को आगे आने की अनुमति देकर तथा स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप दक्षता प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार करने सहित संस्थागत सुदृढ़ीकरण सुनिश्चित करने के लिए दक्षता योजना के अत्यधिक विकेंद्रीयकरण पर जोर दिया गया है। संकल्प का उद्देश्य महिलाओं, अनुसूचित जातियों (अजा), अनुसूचित जनजातियों (अजजा) और दिव्यांगों सहित हाशिये पर समुदायों को बड़े पैमाने पर समाज के इन सुविधा वंचित एवं हाशिये पर वर्गों को दक्षता प्रशिक्षण का अवसर प्रदान करना है।
ये योजनाएं दक्षता के विकास में प्रणाली के माहौल को अनुकूल बनाएगी और उद्योगों को दक्षता प्राप्त कार्य दल की सतत आपूर्ति द्वारा देश के ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस’ सूचकांक में वृद्धि करेगी। बेहतर उद्योग संबंध और गुणवत्ता विश्वास के माध्यम से ये योजनाएं दक्षता विकास कार्यक्रमों के प्रति आकांक्षाओं के महत्व के दिशा में भी काम करेंगी।