मिशन कश्मीर: अमरनाथ सुरक्षा-आतंकवाद समेत इन चार मुद्दों पर रहेगी शाह की नजर
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज जम्मू-कश्मीर के दौरे पर रहेंगे. बतौर गृह मंत्री ये उनका पहला कश्मीर दौरा है, ऐसे में हर किसी की नजर उनपर है. अमित शाह अपने दौरे के दौरान विकास कार्यों की प्रगति, अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा का जायजा लेंगे. साथ ही कार्यकर्ताओं से भी मिलेंगे. जब से उन्होंने ये पद संभाला है तभी से कश्मीर नीति पर चर्चा हो रही है. हर कोई उनकी नीति पर नजर रखे हुए है, अब आज जब वह घाटी में जा रहे हैं तो जो चुनौतियां उनके सामने हैं, एक बार उनपर डालते हैं नजर…
अमरनाथ यात्रा (1 जुलाई)
अमरनाथ यात्रा को शुरू होने में अब सिर्फ एक ही हफ्ता बचा है. 1 जुलाई से यात्रा शुरू होगी और लाखों श्रद्धालु बाबा अमरनाथ के दर्शन करने जाएंगे. ऐसे में अमित शाह के सामने चुनौती होगी कि वह इस यात्रा को सुरक्षित माहौल में पूरी करवाएं. आतंकियों के निशाने पर अमरनाथ यात्रा हमेशा से ही रही है. इससे पहले भी आतंकी इस यात्रा पर बुरी नजर डालते रहे हैं. अब बतौर गृह मंत्री उनके सामने यही पहली और बड़ी चुनौती है.
आतंकवाद पर कब लगेगी लगाम?
पुलवामा आतंकी हमला लोकसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बना था. सरकार ने बाद में बदला लेने की बात कही लेकिन आतंकी नहीं माने. अभी भी घाटी में लगातार आतंकी हमले हो रहे हैं, सुरक्षाबलों को निशाना बनाया जा रहा है. अब जब कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू है, तो ऐसे में पूरी सुरक्षा गृह मंत्रालय के हाथ में ही है.
विधानसभा चुनाव
लोकसभा चुनाव से कुछ समय पहले ही भाजपा और पीडीपी के बीच का गठबंधन टूटा तो सरकार भी चली गई. तभी से राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है. इस साल के अंत में जम्मू-कश्मीर में ही विधानसभा चुनाव हो सकते हैं, ऐसे में उसके लिए माहौल बनाना भी चिंता का विषय है. अमित शाह ने जब मंत्रालय संभाला था, तो परिसीमन की बात सामने आई. घाटी में अभी कुल 87 सीटें हैं, जिनमें कश्मीर का हिस्सा ज्यादा है. परिसीमन होता तो जम्मू में विधानसभा सीटें भी बढ़ सकती हैं. हालांकि, गृह मंत्रालय ने किसी तरह की चर्चा से इनकार कर दिया था.
हुर्रियत से होगी बात?
जम्मू-कश्मीर में शांति का माहौल बनाने की तमाम कोशिशें की जाती हैं. लेकिन कई बार हुर्रियत नेता उसमें अड़ंगा लड़ा देते हैं, कभी घाटी में बंद बुलाकर तो कभी युवाओं को भड़काकर. हाल ही में जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने अलगाववादियों को लेकर बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि अलगाववादी बात करने को तैयार हैं. ऐसे में सवाल ये भी खड़ा होता है कि क्या अमित शाह की कश्मीर नीति में अलगाववादियों के लिए कोई जगह है?