सीबीआई की आंतरिक लड़ाई में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के अफसरों के बीच जारी जंग में एक चौंका देने वाली जानकारी सामने आई है। सरकार को आशंका है कि कई संवेदनशील नंबरों को गैर-कानूनी ढंग से सर्विलांस पर रखा गया था। यहां तक कि सिम कार्ड के इस्तेमाल में गड़बड़ी और मोबाइल नंबरों की क्लोनिंग की आशंका भी है। इससे भी ज्यादा चौंका देने वाली बात यह है कि जिन नंबरों को सर्विलांस पर रखे जाने की खबर है, उनमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना भी शामिल हैं।
इस तरह की आशंका सोमवार को उस समय जताई गई, जब कानून सचिव सुरेश चंद्र ने बताया कि वह 8 नवंबर को लंदन में नहीं थे। ट्रांसफर किए गए सीबीआई डीआईजी मनीष सिन्हा ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि चंद्रा ने बिजनसमैन सतीश सना (राकेश अस्थाना के खिलाफ आरोप लगाने वाला व्यक्ति) से मुलाकात की। आरोप है कि इस मुलाकात को कराने में आंध्र प्रदेश काडर की आईएएस ऑफिसर रेखा रानी ने मदद की थी।
सिन्हा ने सना के हवाले से बताया अस्थाना ने अपनी टीम से कहा कि रेखा रानी ने विवादित बिजनसमैन से चंद्रा से उनके लंदन वाले नंबर पर बात करने को कहा है। इस बारे में जब हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया ने कानून सचिव से बात की तो उन्होंने कहा कि इस साल वह सिर्फ एक बार जुलाई में लंदन गए थे।
एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘किसी को फंसाने के लिए यह एक परफेक्ट स्क्रिप्ट है। आप किसी को भी फोन कॉल के आधार पर गिरफ्तार कर सकते हैं। जब तक ट्रायल शुरू नहीं होता, तब तक वह खुद को निर्दोष भी साबित नहीं कर सकता है।’ अपनी याचिका में सिन्हा और उनके जूनियर सीबीआई डीएसपी ए के बस्सी ने फोन सर्विलांस की बात की है। सिन्हा ने तो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और राकेश अस्थाना की बातचीत का ब्यौरा भी सामने रखा है। अपनी याचिका में सिन्हा ने कहा, ‘राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने राकेश अस्थाना को एफआईआर के बारे में बताया और अस्थाना ने डोभाल से खुद को गिरफ्तार नहीं किए जाने का निवेदन किया।’
इस तरह की रिपोर्ट से इस तरह की आशंका भी जताई जा रही है कि अस्थाना और डोभाल का फोन भी सर्विलांस पर रखा गया था। कोई भी जांच एजेंसी गृह सचिव की इजाजत के बगैर किसी का फोन सर्विलांस पर नहीं रख सकता। विशेष अधिकारों के साथ एजेंसी का प्रमुख आपात स्थिति में ऐसा कर सकता है, इसकी भी प्रक्रिया लंबी है। एजेंसी को गृह सचिव को इस बारे में 3 दिन में सूचना देनी होती है, इसके बाद 7 दिन में इस पर फैसला होता है।