September 22, 2024

सुप्रीम कोर्ट ने तूतीकोरिन में स्टरलाइट संयंत्र को दोबारा खोलने से किया इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने तूतीकोरिन में वेदांता के स्टरलाइट संयंत्र को फिर से खोलने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने सुनवाई की योग्यता के आधार पर तमिलनाडु सरकार की याचिका को मंजूरी देते हुए कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के पास संयंत्र को फिर से खोलने का आदेश देने का कोई अधिकार नहीं है।विज्ञापनकोर्ट ने कहा कि संयंत्र को शीघ्र खोलने की अनुमति मांगने के लिए वेदांता के पास हाईकोर्ट जाने की छूट है।

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ANI@ANI

बता दें एनजीटी ने 15 दिसंबर, 2018 को तूतीकोरीन में स्थित वेदान्ता स्टरलाइट कॉपर स्मेल्टिंग प्लांट को दोबारा खोलने का आदेश दिया था। ग्रीन कोर्ट ने राज्य सरकार के प्लांट को हमेशा के लिए बंद करने के आदेश से अलग ये निर्देश दिया था। एनजीटी ने तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश देते हुए कहा था कि तीन हफ्ते के भीतर कॉपर प्लांट मामले में सहमति पर नया आदेश जारी किया जाए। 

एनजीटी ने कंपनी को आदेश देते हुए कहा था कि तीन साल के समय अंतराल के भीतर एक बिलियन रुपये इलाके के निवासियों के कल्याण के लिए खर्च करें। यह आदेश तमिलनाडु राज्य के उस आदेश के बाद आया था जिसमें प्रदूषण के कारण प्लांट को बंद करने की बात कही गई थी। लोगों ने इस प्लांट को बंद करने के लिए प्रदर्शन भी किया था। जिसमें पुलिस की गोलीबारी के दौरान 13 लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल भी हुए थे।

लोगों ने प्लांट को बंद करने के लिए इसलिए प्रदर्शन किया था क्योंकि प्लांट से निकलने वाला सख्त मेटल जमीन के नीचे पानी में घुल कर प्रदूषण फैला रहा था। एनजीटी द्वारा नियुक्त कमिटि ने ग्रीन पैनल को जानकारी दी थी कि वेदान्ता को बंद करने से पहले उसे न तो कोई नोटिस दिया गया था और न ही कोई अवसर। वहीं कंपनी ने भी ट्रिब्यूनल से कहा था कि वह तूतीकोरीन के लोगों के कल्याण के लिए 100 करोड़ रुपये खर्च करेगी। जिसमें स्कूलों और अस्पतालों के निर्माण के अलावा लोगों को पीने का पानी भी उपलब्ध कराया जाएगा।

कंपनी ने कहा था कि यह राशि कंपनी द्वारा सालाना समाजिक कार्य के लिए खर्च 10 करोड़ रुपये के अतिरिक्त खर्च होगी। 10 करोड़ रुपये कॉरपोरेट सोशियल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) के तहत खर्च किए जाते हैं। पैनल ने ये भी कहा था कि अगर कंपनी उत्पादन शुरू करती है तो उसे एक अधिकारी की मौजूदगी में भूमिगत जल की गुणवत्ता जांचनी होगी।


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