September 22, 2024

हत्या के दोषी ने सुनाई कविता,सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा उम्रकैद में बदली

सुप्रीम कोर्ट ने एक बच्चे की हत्या के जुर्म में मौत की सजा पाए दोषी की सजा उम्रकैद में बदल दी। शीर्ष अदालत का कहना है कि वह खुद को सुधारना चाहता था और जेल में लिखी उसकी कविता से पता चलता है कि उसे अपनी गलती का एहसास है।

न्यायमूर्ति ए के सीकरी की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि डी सुरेश बोरकर ने जब जुर्म किया तब वह 22 साल का था। जेल में रहते हुए उसने ‘मुख्यधारा में आने की कोशिश’ की और एक ‘सभ्य इंसान’ बना। पीठ ने कहा कि बोरकर पिछले 18 सालों से जेल में बंद है और उसका आचरण दिखाता है कि वह सुधरना चाहता है और उसका पुनर्वास किया जाना चाहिए।

पीठ ने कहा, ‘इस मामले में तथ्यों और हालात को देखते हुए हमें यह लगता है कि फांसी की सजा उचित नहीं है। सजा को उम्रकैद में तब्दील करने के दौरान हालात के उतार-चढ़ाव में संतुलन बिठाते हुए हमें लगा कि विषम परिस्थितियां दोषी बोरकर के पक्ष में हैं।’ 

पीठ ने कहा, ‘जेल में कविता लिखने से लेकर युवावस्था में ही अपनी गलती का एहसास होने तक विषम परिस्थितियां दोषी के पक्ष में थीं और वह सुधरना चाहता है।’ बोरकर ने 2006 के बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। दरअसल हाईकोर्ट ने एक नाबालिग की हत्या के जुर्म पुणे के ट्रायल कोर्ट की फांसी की सजा को बरकरार रखा था।


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