2013 में अध्यादेश फाड़ने के बाद राहुल गांधी और मनमोहन के बीच कैसे अच्छे हुए रिश्ते

कांग्रेस के 134वें स्थापना दिवस पर शुक्रवार को राहुल गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बीच अच्छी बॉडिंग दिखी. फिल्म ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ पर बढ़ते विवाद के बीच मनमोहन सिंह सुबह 7:00 बजे रेस कोर्स स्थित कांग्रेस कार्यालय पहुंचे. वहां राहुल गांधी ने उन्हें केक काटने के लिए बुलाया और दोनों ने मिलकर कांग्रेस के स्थापना दिवस पर केक काटा.

उस समय राहुल गांधी को देखकर ऐसा लगा कि उनके दिल में मनमोहन सिंह को लेकर काफी सम्मान है. फिल्म में मनमोहन सिंह को ‘रबर स्टैम्प’ प्रोजेक्ट करने की कोशिश की गई, लेकिन कांग्रेस की स्थापना दिवस पर इससे एकदम उलट माहौल दिखा. राहुल गांधी और मनमोहन के करीबी एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने बताया, ‘उन दोनों के बीच का रिश्ता पिता-पुत्र के रिश्ते की तरह है. जिसमें एक दूसरे के प्रति सम्मान भी है और मतभेद भी.’
दरअसल, कुछ साल पहले राहुल गांधी ने एक ऐसी हरकत की थी. जिसके बाद उनकी परिपक्वता और राजनीतिक गंभीरता पर सवाल उठने लगे थे. वाक्या सितंबर 2013 का है जब राहुल गांधी कांग्रेस के महासचिव थे और राजनीति में अभी नए थे. तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह उस वक्त अमेरिका के दौरे पर थे.

राहुल गांधी ने आपराधिक छवि वाले नेताओं से संबंधित एक विवादित अध्यादेश को दिल्ली में आयोजित एक पत्रकार सम्मेलन में फाड़ दिया था. वह अध्यादेश मनमोहन सिंह मंत्रिमंडल द्वारा पहले से ही स्वीकृत था. हालांकि उस अध्यादेश पर उस वक्त काफी विवाद खड़ा हुआ था, लेकिन वह आपराधिक छवि वाले नेताओं के लिए ‘ढाल’ जैसा था. उस वक्त राहुल गांधी के इस कदम की काफी आलोचना भी हुई थी.
चुनावों से ठीक पहले राहुल के इस कदम को देखकर ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि राहुल गांधी को मनमोहन सिंह के काम करने का तरीका पसंद नहीं है. हालांकि कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी को राहुल की गलती का अंदाजा था. जब मनमोहन सिंह अमेरिका से भारत लौटे तो राहुल गांधी तुरंत उनसे मिलने गए. यह एक नए रिश्ते की शुरुआत थी. राहुल गांधी ने महसूस किया कि मनमोहन सिंह पर विश्वास किया जा रहा है और वह सम्मान करने लायक हैं. हालांकि उस वक्त कांग्रेस परिवार से बाहर दूसरे लोगों पर ज्यादा भरोसा नहीं करती थी.
सोनिया गांधी ने बेटे और पार्टी के सामने यह स्पष्ट कर दिया कि वह बैकसीट पर आने के मूड में हैं. तब राहुल गांधी को एहसास हुआ कि अब कार्यभार संभालने का समय आ रहा है. राहुल और मनमोहन सिंह के बीच की केमिस्ट्री पहली बार जयपुर में देखने को मिली थी. उस वक्त राहुल गांधी को पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया गया था और सोनिया गांधी से पहले ही मनमोहन सिंह ने आगे बढ़कर उनको गले लगा लिया.
शायद सोनिया गांधी ने इस बात पर जोर दिया कि जिस तरह से मनमोहन उनका सम्मान करते हैं, उसी तरह से राहुल को भी उनका सम्मान करना चाहिए. प्रोटोकॉल के दौरान सोनिया गांधी भी मनमोहन सिंह का पूरा सम्मान करती थीं. वहीं राहुल गांधी ने भी इसका पालन किया.
अब तक राहुल गांधी ने नरेंद्र मोदी पर जीएसटी या नोटबंदी को लेकर जितने हमले किए हैं उसके सारे इनपुट वो मनमोहन सिंह से ही लेते हैं. सूत्रों का ये भी कहना है कि तीन राज्यों में किसानों का कृषि ऋण को माफ करने से पहले भी राहुल गांधी ने मनमोहन सिंह से मुलाकात की थी.
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के स्थापना दिवस पर राहुल गांधी लगातार इस बात पर जोर दे रहे थे कि केक मनमोहन सिंह काटें. यह उस आदमी को सम्मान देने जैसा था जिसे ‘कमज़ोर’ कहा जाता है. यह कहीं न कहीं दिखाता है कि राहुल गांधी ने मनमोहन सिंह को वही सम्मान दिया जो शायद राजीव गांधी को दिया जाता अगर वो ज़िंदा होते.