कॉरपोरेट फंडिंग के आसरे महंगे होते लोकतंत्र में जनता कहीं नहीं
6 अरब पॉलिटिकल फंडिंग कर 60 खरब की रियायत तो कॉरपोरेट देश चलाता है या कॉरपोरेट से सांठगांठ के बगैर...
6 अरब पॉलिटिकल फंडिंग कर 60 खरब की रियायत तो कॉरपोरेट देश चलाता है या कॉरपोरेट से सांठगांठ के बगैर...
होना तो यही चाहिये था कि संघ अपने कान को देखता लेकिन वह भी कौवे के पीछे ही भाग रहा...