नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के विरोध में देशभर के 3 लाख डॉक्टरों की हड़ताल शुरू
नई दिल्ली। केंद्र सराकर द्वारा मेडिक काउंसिल ऑफ इंडिया की जगह नया आयोग बनाए जाने का विरोध शुरू हो गया है। सरकार द्वारा संसद में पेश किए गए नेशनल मेडिकल कमिशन बिल के विरोध में आज देशभर में निजी अस्पतालों के डॉक्टर 12 घंटे के लिए सुबह 6 से शाम 6 बजे तक हड़ताल पर हैं। इस हड़ताल का आह्वान डॉक्टरों की शीर्ष संस्था आईएमए ने नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) बिल के खिलाफ किया है। हड़ताल के चलते आज देश में 12 घंटे के लिए ओपीडी सहित अपनी सभी नियमित सेवाएं बंद रहेंगी।
इस हड़ताल के चलते निजी अस्पतालों में बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) सहित अन्य नियमित स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा सकती हैं। हालांकि इमरजेंसी एवं सघन चिकित्सा सेवाओं को हड़ताल से अलग रखा गया है। आईएमए के आह्वान के मद्देनजर निजी अस्पताल के डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने की आशंका से चिंतित केंद्र सरकार ने हालात से निपटने के लिए कमर कस ली है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने सरकारी अस्पतालों को निर्देश दिया है कि वे अपनी स्वास्थ्य सेवाएं चाक-चौबंद रखें ताकि मरीजों को किसी भी किस्म की तकलीफ न होने पाए।
मंत्रालय ने एक एडवाइजरी जारी कर कहा है, “हमारी जानकारी में यह बात आई है कि आइएमए ने 2 जनवरी को एक दिन की हड़ताल पर जाने का फैसला किया है। इसलिए केंद्रीय सरकारी अस्पतालों से यह आग्रह किया जाता है कि वे अपने यहां इमरजेंसी सहित अन्य स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त रखना सुनिश्चित करें ताकि मरीजों को बेवजह की दुश्वारियों का सामना न करना पड़े।” यह एडवाइजरी नई दिल्ली स्थित एम्स और सफदरजंग अस्पताल के अलावा देश के अन्य केंद्रीय स्वास्थ्य सेवा संस्थानों के लिए जारी की गई है।
यह है मामला
दरअसल सरकार ने नेशनल मेडिकल कमीशन बिल को शुक्रवार को संसद में पेश किया। इसके तहत एमसीआई की जगह एनएमसी के गठन का प्रस्ताव किया गया है। बिल में इस बात का भी प्रावधान किया गया है कि होम्योपैथी एवं आयुर्वेद जैसे वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली के डॉक्टर भी एक ब्रिज कोर्स करने के बाद एलोपैथी के जरिये इलाज कर सकते हैं। इस बिल पर मंगलवार को संसद में चर्चा होने जा रही है।
यही कारण है कि आईएमए ने मंगलवार को काला दिवस के रूप में मनाने का आह्वान किया है। उसका कहना है कि संसद की मंजूरी के बाद विधेयक अगर कानून बन गया तो इससे देश में मेडिकल प्रोफेशन बर्बाद हो जाएगा। डॉक्टर पूरी तरह से नौकरशाही एवं गैर चिकित्सक प्रशासकों के प्रति जवाबदेह हो जाएंगे। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने बयान जारी कर कहा है कि मौजूदा स्वरूप में एनएमसी बिल कत्तई स्वीकार्य नहीं है। यह गरीब विरोधी, जनविरोधी, लोकतंत्र विरोधी है। दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन ने आईएमए द्वारा आहूत इस हड़ताल का समर्थन किया है।
आईएमए अध्यक्ष डॉ. वानखेडकर के अनुसार, एमसीआइ एक प्रतिनिधि संस्था है। कोई भी पंजीकृत डॉक्टर इसका चुनाव लड़ सकता है और प्रत्येक डॉक्टर को इसमें वोट देने का अधिकार है। इसको खत्म करने का निर्णय सरकार के लोकतंत्र विरोधी मानसिकता को दर्शाता है। गौरतलब है कि देश भर के 2.27 लाख डॉक्टर आइएमए के सदस्य हैं। डॉ. वानखेडकर ने उम्मीद जताई है कि आइएमए के सभी सदस्य हड़ताल के आह्वान का अनुसरण कर स्वास्थ्य सेवाएं बंद रखेंगे।
नड्डा से मीटिंग में नहीं बनी बात
हड़ताल का आह्वान करने से पहले इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के पदाधिकारियों की केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के साथ मीटिंग हुई, लेकिन इसमें बात नहीं बनी। इस बाबत स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि बिल पर मंगलवार को संसद में चर्चा होनी है। इस पर संसद ही कोई फैसला करेगी। अफसर के अनुसार, “हमने उन्हें (आइएमए पदाधिकारियों को) खूब सुना, लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता है। बिल संसद में पेश हो चुकी है, उस पर मंगलवार को चर्चा तय है। अब सदन ही कोई निर्णय करेगा।”