31 साल बाद आज शनि अमावस्या पर बन रहा खास योग
आज शनिवार के साथ ही अमावस्या भी है। इस शनिश्चरी अमावस्या पर 31 साल बाद शोभन योग बन रहा है।आज शोभन योग के साथ शनि, बुध और चंद्रमा एक साथ रहेंगे। यह अमावस्या पितृ दोष, शनि की साढ़े साती और ढैया निवारण के लिए शुभ है। इसलिए शनि की शांति के लिए मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जा रही है। इस दिन खरीदारी का भी विशेष महत्व है। शोभन योग विद्यार्थियों और शिक्षा से जुड़े लोगों के लिए शुभ रहेगा।
इससे पहले अमावस्या पर यह योग वर्ष 1987 में बना था। शोभन योग 27 योगों में से एक है। शनिवार के दिन इस योग के होने से तिथि और नक्षत्र का प्रभाव कई गुना अधिक बढ़ गया है। शनि अमावस्या पर शनि देव अपने मूल नक्षत्र विशाखा में रहेंगे, जो शनिदेव को अतिप्रिय है।
शनि 26 अक्टूबर से धनु राशि में हैं, जो शनि देव की मूल राशि है। साढ़े साती और ढैया पर शनि का प्रभाव होने से वृश्चिक, धनु, मकर और कन्या राशि वालों के लिए अच्छा अवसर है। इस दिन वह पूजा-अर्चना कर शनि की महादशा को शांत कर सकते हैं।
काली वस्तुओं का दान कर क्षमा मांगने से शनि देव खुश होते है। भविष्य पुराण के अनुसार शनि देव को शनि अमावस्या अतिप्रिय है। शनि अमावस्या का दिन संकटों के समाधान के लिए बहुत शुभ माना गया है।पितृ ऋण से मुक्ति के लिए भी इस दिन का बहुत महत्व है। जो लोग साढ़े साती, शनि की महादशा और अंतर्दशा से पीड़ित हैं वे शनि मंदिर में काले तिल, काले उड़द, लोहे के पात्र और गुण दान करने से मनवांछित फल की प्राप्ति कर सकते हैं।
इस दिन शनि के मंत्र ओम प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः का जाप करना फलदायी होता है। इस दिन पितरों का श्राद्घ भी अवश्य करना चाहिए, शनि अमावस्या पर सुंदरकांड पाठ, हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमान अष्टक का पाठ करने से भी शांति मिलती है।