पिछले चार साल में सबसे ज्यादा बढ़ी बेरोजगारी, फरवरी में तोड़ दिया रिकॉर्डः रिपोर्ट
मोदी सरकार के पिछले चार साल के कार्यकाल में बेरोजगारी के आंकड़े ने इस साल फरवरी में पिछला रिकॉर्ड तोड़ दिया है। सितंबर 2016 और फरवरी 2018 के मुकाबले देश भर में बेरोजगारी काफी बढ़ गई है। सेंट्रर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, फरवरी 2019 में बेरोजगारी का आंकड़ा 7.2 फीसदी पर पहुंच गया। वहीं पिछले साल फरवरी में यह आंकड़ा 5.9 फीसदी था।
लोगों की नौकरी छूटी
रिपोर्ट के मुताबिक जहां पिछले साल 40.6 करोड़ लोग नौकरी कर रहे थे, वहीं इस साल फरवरी में यह आंकड़ा केवल 40 करोड़ रह गया। इस हिसाब से 2018 और 2019 के बीच करीब 60 लाख लोग बेरोजगार हो गए।
सीएमआईई के आंकड़े होते हैं पुख्ता
सीएमआईई द्वारा जारी किए जाने वाले आंकड़ों ज्यादा पुख्ता होते हैं। ज्यादातर अर्थशास्त्री सरकार द्वारा जारी किए जाने वाले आंकड़ों के बजाए इसकी रिपोर्ट पर विश्वास करते हैं। लोगों का मानना है कि इस रिपोर्ट के जारी होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को चिंता में डाल सकते हैं। विपक्षी दल भी किसानों और बेरोजगारी को चुनावी मुद्दा बनाकर लोगों के बीच जाते हैं।
पहले भी जारी हुई थी रिपोर्ट
कुछ हफ्ते पहले एक रिपोर्ट सामने आई थी, जिसके मुताबिक देश भर में बेरोजगारी 45 वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। नेशनल सैंपल सर्वे कार्यालय (एनएसएसओ) द्वारा किए गए एक सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ था।
जुलाई 2017 से जून 2018 तक बेरोजगारी की सीमा 6.1 फीसदी पहुंच गई, जो 1972-73 के बाद सबसे ज्यादा है। इसी डाटा को जारी न करने के फैसले के कारण ही राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के दो सदस्यों ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफा देने वाले पीसी मोहनन और जेवी मीनाक्षी का कार्यकाल जून 2020 में पूरा होना था। आयोग में केवल यही दोनों गैर सरकारी सदस्य थे।
शहरी क्षेत्रों में बढ़ी संख्या
रिपोर्ट में कहा गया है कि शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारों की संख्या 7.8 फीसदी रही, वहीं ग्रामीण इलाकों में यह 5.3 फीसदी रही। रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटबंदी के चलते नई नौकरियों की संख्या में काफी गिरावट आ गई थी, जो अभी संभली नहीं है। एक तरफ जहां जीडीपी की रफ्तार 7 फीसदी से ज्यादा है, वहीं बेरोजगारी के आंकड़े सरकार की पेशानी पर बल डालते हैं।
पिछले एक साल में नौकरियां मिलने की संख्या 1.1 करोड़ कम हुई है।
बेरोजगार युवाओं ने लिखा था पीएम को पत्र
बेरोजगार युवाओं ने बिलकुल अनोखे तरीके से देश के प्रधानमंत्री से बेरोजगारी पर अपना विरोध दर्ज कराया है। बेरोजगार छात्रों ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि वे बेरोजगार हैं और उन्हें नौकरी चाहिए। लेकिन उन्हें नौकरी नहीं मिल रही है। कई नौकरियों के प्रश्न पत्र खुले बाजार में बिकते हैं, कई बार वे पकड़े भी गये हैं।
ऐसे में उन्हें इन प्रश्न पत्रों को खरीदने के लिए पैसे चाहिए। छात्रों के मुताबिक़ प्रधानमंत्री अपने नाम से एक चिटफंड कंपनी की शुरुआत करें जिससे वे इन प्रश्न पत्रों को खरीदने के लिए पैसे पा सकें। छात्रों ने यह वायदा भी किया है कि उनकी नौकरी लगते ही वे ब्याज सहित इस पैसे को वापस कर देंगे।
हल्लाबोल नामक संस्था के संस्थापक अनुपम ने अमर उजाला से कहा कि हमने पीएम से इस बहाने अपना विरोध दर्ज कराया है। यह अत्यंत दुर्भाग्य की बात है कि जहां अनेक नौकरी के लगभग 24 लाख पद रिक्त पड़े हुए हैं, युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही है, वहीं सरकार लगातार नौकरियों को कम करती जा रही है। लाखों नौकरियां पिछले सालों में हमेशा के लिए खत्म कर दी गई हैं।
अनुपम के मुताबिक उन्होंने आज के आयोजन में एक प्रस्ताव भी पास किया है। इस प्रस्ताव के मुताबिक बेरोजगारी को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाना चाहिए। अगर सरकार ऐसा नहीं करती तो वे अगले महीने की 27 तारीख को देश भर में युवाओं का एक ऐसा आंदोलन छेड़ेंगे जिससे किसी भी राज्य में युवा विरोधी सरकार सत्ता में न आ सके।