लोकसभा चुनाव 2019: चुनाव आचार संहिता लागू, क्या हैं इसके मायने?
लोकसभा चुनाव 2019 के लिए भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने चुनावी कार्यक्रम घोषित कर दिया है। मुख्य चुनाव आयुक्त की घोषणा के बाद सम्मपूर्ण देश में आदर्श आचार संहिता भी लागू हो गई है। दरअसल देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग द्वारा बनाये गये नियमों को ही आचार संहिता कहते हैं।
आचार संहिता लागू होते ही शासन और प्रशासन में कई अहम बदलाव हो जाते हैं। राज्यों और केंद्र सरकार के कर्मचारी चुनावी प्रक्रिया पूरी होने तक चुनाव आयोग के कर्मचारी की तरह काम करते हैं। आचार संहिता लागू होने के बाद सार्वजनिक धन का इस्तेमाल किसी ऐसे आयोजन में नहीं किया जा सकता जिससे किसी विशेष दल को फायदा पहुंचता हों।
चुनावी अवधि के दौरान सरकारी गाड़ी, सरकारी विमान या सरकारी बंगला का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जा सकता है। आचार संहिता लगने के बाद सभी तरह की सरकारी घोषणाएं, लोकार्पण, शिलान्यास या भूमिपूजन के कार्यक्रम नहीं किए जा सकते हैं। किसी भी पार्टी, प्रत्याशी या समर्थकों को रैली या जुलूस निकालने या चुनावी सभा करने की पूर्व अनुमति पुलिस से लेना अनिवार्य होता है।
राजनीतिक कार्यक्रमों पर नजर रखने के लिए चुनाव आयोग पर्यवेक्षक भी नियुक्त करता है। कोई भी राजनीतिक दल जाति या धर्म के आधार पर मतदाताओं से वोट नहीं मांग सकता है। ऐसा करने पर चुनाव आयोग दंडात्मक कार्रवाई भी कर सकता है।
यदि कोई प्रत्याशी या राजनीतिक दल आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करता है तो चुनाव आयोग नियमानुसार कार्रवाई कर सकता है। चुनाव आयोग उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से रोक सकता है, जरूरी होने पर आपराधिक मुकदमा भी दर्ज कर सकता है। इतन ही नहीं आचार संहिता के उल्लंघन में जेल जाने तक के प्रावधान भी हैं।