बड़ी ख़बरः सियासी मोर्चे पर ‘अनफिट’ कर्नल
देहरादूनः उत्तराखंड की राजनीति में कर्नल अजय कोठियाल का नाम एकाएक सामने आया। कोठियाल राजनीति में आकर एक लंबी लकीर खिंचना चाहते थे। एक ठोस प्लानिंग के साथ कोठियाल ने इसकी शुरूआत भी कर दी थी। लेकिन लोकसभा चुनाव आते आते सियासी मोर्चे पर कर्नल ‘अनफिट’ साबित हो गये। लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी कांग्रेस के दिग्गज जहां अपने टिकट को लेकर दिल्ली दौड़ में जुटे थे तो वहीं कर्नल कोठियाल अपने समर्थकों के माध्यम से बीजेपी पर टिकट के लिए दबाव बना रहे थे। लेकिन धरातल पर न तो कर्नल थे और न उनके समर्थक। आलम यह रहा कि बीजेपी के लोकसभा प्रभारी को मिलने के लिए कर्नल कोठियाल को कांग्रेस के कद्दावर नेता का सहयोग लेना पड़ा। जिससे साफ हो गया था कि कर्नल की सियासी पारी यहीं थम जायेगी।
कंफ्यूजन में कर्नल
कर्नल कोठियाल सियासी मोर्च पर पूरी तरह से कंफ्यूज हैं। कर्नल सियासी पारी खेलने के लिए लंबे समय से तैयार थे। लेकिन वह अपने लिए कोई लोकसभा सीट चुन नहीं पाये। सीट के चुनाव को लेकर उनके बयान हमेशा विरोधाभासी रहे। वह कभी टिहरी संसदीय सीट पर चुनाव लड़ने की बात करते हैं तो कभी पौड़ी संसदीय सीट से। वहीं कर्नल यह भी स्पष्ट नहीं कर सके वह भाजपा के बैनर तले चुनाव लड़ेगे या फिर कांग्रेस के टिकट से। इस तरह की उलझन के कारण उनके समर्थक खुल कर सामने नहीं आ पाये। लिहाजा कर्नल कोठियाल को दोनों पार्टियों ने ज्यादा तवज्जों नहीं दी। जिससे कर्नल बैक फुट पर आ गये।
निर्दलीय भी नहीं लडेंगे चुनाव
सियासी मोर्चे पर कर्नल इस कदर अनफिट हो गये कि वह निर्दलीय उम्मीदवार की भूमिका निभाने को भी तैयार नहीं है। भाजपा और कांग्रेस द्वारा टिकट नहीं दिये जाने के बाद उनके समर्थकों में भारी मायूसी छायी। जिसके बाद उनके समर्थकों नेे निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ने का दबाव बनाया। जिसे कर्नल ने स्वीकार तो किया लेकिन सियासी मोर्चे पर कर्नल यह भी तय नहीं कर पाये कि उनकी लड़ाई किसके लिए और क्यों है। हालांकि कर्नल कोठियाल द्वार बयान जारी किया गया कि वह देहरादून में प्रेस वार्ता कर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ने की घोषणा करेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि इस मौके पर वह राज्य के लिए अपना विजन भी रखेंगे और कुछ बड़े खुलासे भी करेंगे। एक ऐन वक्त पर कर्नल कोठियाल ने प्रेस वार्ता कैंसिल कर दी और निर्दलीय चुनाव लड़ने से मना कर दिया। कर्नल के इस फैसले से उनके समर्थकों में भारी नाराजगी है।
गलती पर गलती कर गये कर्नल
कर्नल अजय कोठियाल अपनी सियासी पारी खेलने से पहले ही मोर्चे से हट गये हैं। कोठियाल ने सियासत में आने से पहले कई गलतियां की। जिसके चलते वह किसी भी पार्टी का चेहरा नहीं बन पाये। कोठियाल न तो कांग्रेस में शामिल हो पाये और न ही भाजपा में। कोठियाल का झुकाव कांग्रेस की जगह भाजपा के प्रति ज्यादा रहा। लेकिन एक विचारधारा की वजह से कोठियाल अपनी हसरत पूरा नहीं कर पाये। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस में कर्नल फिट बैठते। जानकारों की माने तो कर्नल को हरीश रावत का पूरा समर्थन था। लेकिन कर्नल ने अपने टिकट के लिए हरीश रावत से पैरावी नहीं की। कांग्रेस में कर्नल का किसी ने समर्थन भी नहीं किया। क्योंकि कर्नल भाजपा से टिकट पाने की जुगत में जुटे थे। जानकारों का मानना है कि कर्नल को हरीश रावत ने ही बड़ा चेहरा बनाया। केदारनाथ में निर्माण कार्य के लिए हरीश रावत ने कर्नल को फ्री हैंड दिया। जिसकी बदौलत कर्नल अपने काम का ढ़िढोरा पिटते हैं। खैर कर्नल ने निर्दलीय चुनाव लड़ने से मना कर दिया है। देखना यह है कि कर्नल का अगल कदम क्या होगा।