September 22, 2024

अरे सरकार! आपके राज में बेरोजगार हो रहे चौकीदार

श्रीनगरः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर रोज अपनी चुनावी रैली में आपने को देश का सबसे बड़ा चौकीदार बताते हैं। उनके इस उद्बोधन के बाद लकीर के फकीरों ने खुद को ‘चौकीदार’ की संज्ञा दी। बकायदा अपने नाम के आगे सोशल मीडिया साइट पर ‘चौकीदार’ शब्द जोड़ दिया। लेकिन असल हकीकत क्या है ये जरा उन चौकीदारों से पूछ लो जिनकी चौकीदारी 10 साल बाद छीनी जा रही है। दरअसल मामला श्रीनगर गढ़वाल का है। जहां हेमवती नंदन बहुगुण गढ़वाल (केंद्रीय) विश्वविद्यालय में सुरक्षा कर्मियों की नौकरी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।

केंद्रीय विश्वविद्यालय एचएनबी के पौड़ी परिसर में पिछले 10 से 12 सालों से अपनी सेवाएं दे रहे सुरक्षाकर्मियों की नौकरी खतरे में है। सुरक्षाकर्मियों को बिना किसी कारण के निकाले जाने पर छात्र संगठन इनके पक्ष में लामबंद हुए और छात्र संगठन ने विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन पर तालाबंदी कर कुलपति के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

दरअसल, विश्वविद्यालय की ओर से नई भर्तियां की जा रही हैं। जिनमें सेना से सेवानिवृत्त लोगों को ही प्राथमिकता दी जा रही है। जिस कारण पौड़ी परिसर में लंबे समय से अपनी सेवाएं दे रहे सुरक्षाकर्मियों को नौकरी से निकाला जा रहा है। सुरक्षा कर्मियों के पक्ष में छात्र संगठन भी सामने आ गया है। छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय की ओर से नई भर्तियों में सेना से सेवानिवृत्त हुए लोगों को प्राथमिकता दी जाए। लेकिन वर्तमान में कार्यरत सुरक्षाकर्मियों को नौकरी से ना निकाला जाए।

छात्र संगठन के पदाधिकारियों ने चेताया कि विश्वविद्यालय की ओर से जारी आदेश को अगर जल्द वापस नहीं लिया गया तो वह उग्र आंदोलन करेंगे। छात्र नेताओं ने बताया कि विश्वविद्यालय को पत्र लिखकर गुजारिश की गई है कि जो भी नई भर्तियां की जाएंगी, उसमें सेना से सेवानिवृत्त लोगों को प्राथमिकता दी जाए। लेकिन पौड़ी में जो 11 सुरक्षाकर्मी कार्य कर रहे हैं, उन्हें नौकरी से बाहर ना किया जाए।

पौड़ी के परिसर निदेशक केसी पुरोहित ने बताया कि केंद्रीय विश्वविद्यालय के तीनों परिसरों के लिए आउटसोर्स की मदद से कर्मचारियों की नियुक्तियां की जाती है। एजेंसी की नीतियों के आधार पर तय किया जाता है कि वह किस आधार पर नियुक्ति करें। उन्होंने कहा कि इस बार सुरक्षा कर्मियों के पद से सेवानिवृत्त सेना के लोगों को प्राथमिकता दी जा रही है। जिसमें पौड़ी परिसर की ओर से किसी भी प्रकार का कोई हस्तक्षेप नहीं है।


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