International Labour day 2019: इसलिए मनाया जाता है मजदूर दिवस
1 मई को दुनिया के लगभग सभी देशों में मजदूर दिवस मनाया जाता है। हिन्दुस्तान में मजदूर दिवस कामकाजी लोगों के सम्मान में मनाया जाता है। हिन्दुस्तान में इसकी शुरुआत लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्दुस्तान ने 1 मई 1923 को चेन्नई (मद्रास) से की थी। पूर्व काल में मजदूर एवं कामगार वर्ग की स्थिति अत्यंत दयनीय थी। मजदूरों को दिन में 10 से 15 घंटे काम कराया जाता था। कार्यस्थल इतने विषम और प्रतिकूल होते थे की वहां आए दिन काम करने के दौरान ही मजदूरों की आकस्मिक मृत्यु की घटनाएं होती रहती थीं। इन्हीं परिस्थितियों के चलते अमेरिका में कुछ मजदूर “समस्या निवारण संघ” और “समाजवादी संघ’ द्वारा मजदूरों के कल्याण के लिए आवाज़ उठाई जाने लगी।
कैसे हुई मजदूर दिवस की शुरुआत
अंतराष्ट्रीय स्तर पर मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत 1 मई 1886 को तब हुई जब अमेरिका के मजदूर संघों ने मिलकर निश्चय किया कि वे 8 घंटे से ज्यादा काम नहीं करेंगे, जिसंके लिए संगठनों ने हड़ताल की। इस हड़ताल के दौरान शिकागो की हेमार्केट में बम ब्लास्ट हुआ, जिससे निपटने के लिए पुलिस ने मजदूरों पर गोली चला दी जिसमें कई मजदूरों की मौत हो गई और 100 से अधिक लोग घायल हो गए। इसके बाद 1889 में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की दूसरी बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें यह ऐलान किया गया कि हेमार्केट नरसंघार में मारे गए निर्दोष लोगों की याद में 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाएगा और इस दिन सभी कामगारों और श्रमिकों का अवकाश रहेगा।
आज ही के दिन दुनिया के मजदूरों के अनिश्चित काम के घंटों को 8 घंटे में तब्दील किया गया था। –
क्या किया जाता है मजदूर दिवस पर?
आज ही के दिन दुनिया के मजदूरों के अनिश्चित काम के घंटों को 8 घंटे में तब्दील किया गया था। मजदूर वर्ग इस दिन पर बड़ी-बड़ी रैलियों का आयोजन करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन (ILO)द्वारा इस दिन पर सम्मेलन का आयोजन किया जाता है। देश के मजदूर वर्ग की उन्नति और प्रगति के लिए कई बार इस दिवस पर सरकार द्वारा मजदूर वर्ग को विशेष सहाय और भेंट भी अर्पण की जाती है। इस वर्ग के लोगों के लिए मुफ्त या कम दाम में राशन, कपड़े, शिक्षा, सस्ते ब्याज पर पक्के मकान के लोन, नौकरियां प्रदान की जाती है। मजदूर दिवस पर टीवी, अखबार, और रेडियो जैसे प्रसार माध्यमो द्वारा मजदूर जागृति के लिए कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं और बड़े-बड़े पॉलिटिशन इस दिवस पर मजदूर वर्ग के कल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं भी करते हैं। यूरोप में यह दिन ऐतिहासिक रूप से ग्रामीण पगन त्योहारों से जुड़ा है।
हिन्दुस्तान के साथ दुनिया के करीब 80 देशों में इस दिन राष्ट्रीय छुट्टी होती है और इस दिन सभी कामगारों और श्रमिकों का अवकाश रहता है।किसी भी देश की तरक्की उस देश के किसानों तथा कामगारों (मजदूर / कारीगर) पर निर्भर होती है। एक मकान को खड़ा करने और सहारा देने के लिए जिस तरह मजबूत “नीव” की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, ठीक उसी प्रकार किसी समाज, देश, उद्योग, संस्था, व्यवसाय को खड़ा करने के लिए कामगारों (कर्मचारियों) की विशेष भूमिका होती है, जो समाज को मजबूत एवं परिपक्व बनाते हैं और समाज को सफलता की ओर ले जाते हैं, जो किसी संस्था या निजी तौर पर किसी के लिए काम करते हैं, और बदले में वेतन लेते हैं वैसे सभी लोग मजदूर वर्ग में आते हैं।
मजदूर दिवस विश्व का एक प्रचलित उत्सव दिवस बताया जाता रहा है। यह दिवस उन श्रमिक वर्ग को समर्पित है जो अपना खून-पसीना बहाकर अथक परिश्रम कर के विश्व के विभिन्न हिस्सों में दिन रात काम करके उस देश की प्रगति में अपना अमूल्य योगदान देते हैं। शारीरिक व मानसिक रूप से मेहनत करने वाला हर इन्सान मजदूर है, चाहे वह ईंट सीमेंट से सना इन्सान हो या एसी ऑफिस में फाइल के तले बैठा एक कर्मचारी, मजदूर वर्ग किसी भी समाज का अभिन्न और महत्वपूर्ण अंग होता है उन्हें सर्वथा सम्मान देना सभी का कर्तव्य है। अगर किसी जगह पर मजदूरों के साथ अन्याय हो रहा हों या उन पर अत्याचार हो रहा हों तो उस बात को सार्वजनिक करना और उस अनीति के खिलाफ आवाज़ उठाना प्रत्येक ज़िम्मेदार नागरिक का फर्ज़ है। इन्ही सब मजदूर, श्रमिकों को सम्मान देने के लिए मजदूर दिवस मनाया जाता है।