बड़ी खबरः हरीश रावत पर क्यों फायर है कांग्रेस की निचली कतारें
देहरादूनः लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस बड़ी दुविधा में है। पार्टी के बडे़ नेता किसी निर्णय लेने से पहले हाईकामन का मुंह ताक रहे हं। जबकि इसके उलट कांग्रेस की निचली कतारों में भारी गुस्सा और उन्माद का माहौल है, खासकर कुमायूं में। कांग्रेस की अंदरूनी सियासत में ऐसा क्या घट रहा है कि निचली पांत सीधे अपने सर्वोच्च नेता पर फायर हो रही है। क्या कांग्रेस में हरीश रावत अब स्वीकार्य नेता नहीं रह गये हैं। फेसबुक पर अपने ‘भीष्म’ पर सवाल उठा कर कांग्रेस के युवा तुर्कों ने अपने जज्बात जाहिर कर दिये हैं। कांग्रेस की निचली कतारों का यूं उन्मादी होकर अपने शीर्ष पुरूष पर सीधा हमला करना उसके भविष्य के लिए सही संकेत नहीं है।
इस पूरे मामले में विवाद की जड़ युवा कांग्रेस का अध्यक्ष पद है। हरीश रावत के खिलाफ कांग्रेस के युवा तुर्कों की नाराजगी का कारण यही है। दरअसल राहुल गांधी के चुनावी माॅडल से चुनाव जीत कर आये युवा कांग्रेस के अध्यक्ष विक्रम रावत की जगह समित भुल्लर को कांग्रेस हाई कमान द्वारा युवा कांग्रेस का कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष नियुक्ति किया है। जिससे विक्रम रावत के समर्थकों में भारी नाराजगी है। लिहाजा विक्रम समर्थक खुलकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ मुखर हो गये हैं। इन युवा तुर्कों का कहना है कि इस प्रकरण में हरीश रावत ने दखल देकर पार्टी को कमजोर करने का काम किया है।
हरीश रावत की सरपरस्ती में राजनीति का ककहरा सीखने वाले कांग्रेस के युवा तुर्क अब उन्हें आंख दिखा रहे। बकायदा युवा कांग्रेस से जुड़े कार्यकर्ताओं ने फेसबुक का सहारा लेकर हरीश रावत पर हमला बोला है। युवा कार्यकर्ताओं ने न सिर्फ हरीश रावत को दोषी ठहराया बल्कि उन पर पार्टी और उसके अनुषंगिक संगठनों को कमजोर करने का आरोप भी जड़ा। एक फेसबुक पोस्ट में युवा कांग्रेस के एक कार्यकर्ता ने सवाल खड़ा किया कि ‘‘जिसको युवाओं द्वारा नकारा जाता है और जो चुनाव में बड़े नेताओ ( हरीश रावत ) का आशीर्वाद प्राप्त होने के बाद भी तीसरे स्थान पर रहता है उसकी बैकडोर से क्यों एंट्री करवाई जाती है। इस बात से साफ होता है कि बड़े नेताओं के प्रभाव में आकर किसी बड़े नेता के निजी स्वार्थ के लिए अगर कोई मनोनयन किया है तो उससे संगठन कमजोर होता है और पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटता है और कांग्रेस पार्टी भी कमजोर होगी ।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि हरीश रावत उत्तराखंड कांग्रेस में सबसे बड़ा नेता है। लेकिन कांग्रेस के युवा तुर्कों ने हरीश रावत के खिलाफ मोर्चा खोल कर यह साबित करने की कोशिश की है कि पार्टी के अंदरूनी मामले में अगर अनावश्यक हस्तक्षेप किया जायेगा तो वह अपने ‘भीष्म’ को भी कतई नहीं बकसेंगे।