बड़ी ख़बरः सीसीआइएम ने की प्रदेश के सात आयुर्वेदिक काॅलेजों की मान्यता रद्द
देहरादूनः भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद ने उत्तराखंड के अयुर्वेदिक काॅलेजों पर चाबुक चलाया है। ने मानक पूरा न होने पर प्रदेश के सात काॅलेजों की मान्यता रद्द की। जिससे प्रदेश के कई होनहार युवाओं का आयुर्वेद चिकित्सक बनने सपना चकनाचूर हो गया है। भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद द्वारा सात आयुर्वेद कालेजों की मान्यता खत्म करने साथ-साथ प्रदेश दोनों होम्योपैथिक काॅलेजों को भी इस साल मान्यता नहीं मिली है। जिससे प्रदेश के युवाओं के सामने समस्या खड़ी हो गई है।
प्रदेश में सरकारी व निजी, कुल 16 आयुर्वेदिक काॅलेज हैं। सीसीआइएम ने हाल में इनका निरीक्षण किया था। आठ काॅलेजों को मान्यता नहीं मिली है। इन काॅलेजों के पास अभी कोर्ट जाने का विकल्प है। डाॅ. हरक सिंह रावत, आयुष मंत्री
आयुर्वेद काॅलेजों को मजबूत करने के लिए जहां एक ओर आयुष मंत्रालय द्वारा आयुष शिक्षकों के लिए पात्रता परीक्षा अनिवार्य कर दी है वहीं दूसरी ओर मानक पूरे न होने के चलते प्रदेश के सात आयुर्वेद काॅलेजों की मान्यता रद्द कर दी है। जिसका असर प्रदेश भर के युवाओं पर पड़ा है। दरअसल आयुर्वेद काॅलेजों में काउंसिलिंग प्रक्रिया शुरू होनी थी लेकिन उससे पहले ही प्रदेश के सात काॅलेजों को काउंसिलिंग प्रक्रिया से हटा दिया है। जिससे छात्रों में असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। दरअसल प्रदेश में बीएएमएस की कुल 560 सीटें थीं। जिनमें आधी स्टेट कोटा के तहत भरी जानी थीं। माना जा रहा है कि सीसीआइएम ने इनकी मान्यता फैकल्टी की कमी, सुविधा-संसाधनों के अभाव की वजह से रद्द कर दी है।
इन आयुर्वेदिक काॅलेजों पर गिरी गाज
1.उत्तरांचल आयुर्वेदिक कॉलेज देहरादून, 2. आयुर्वेदिक कॉलेज हरिद्वार, 3. बिहाईव आयुर्वेदिक कॉलेज देहरादून, 4. शिवालिक आयुर्वेदिक कॉलेज देहरादून, 5. श्रीमति मंजरी देवी आयुर्वेदिक कॉलेज उत्तरकाशी, 6. देवभूमि आयुर्वेदिक कॉलेज देहरादून, 7.बिशम्बर सहाय ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट्स रुड़की।