November 24, 2024

एक्सक्लूसिव ख़बरः गर्दिश में कथित पत्रकार के सितारे, बीजेपी हाईकामन ने बंद किये दरवाजे

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देहरादूनः उत्तराखंड की पत्रकारिता में धूमकेतु की भांति चर्चा में आये कथित पत्रकार उमेश जे कुमार के सितारे इन दिनों गर्दिश में हैं। एक समय था जब सीआईएसएफ की हाई सिक्योरिटी के घेरे में यह कथित पत्रकार घिरा रहता था। मजाल नहीं कोई उससे छू भी पाये। अपनी पूरी हनक और ठसक के साथ वह मुख्यमंत्रियों के ईद-गिर्द नजर आता था। उत्तराखंड से लेकर मैदानी राज्यों के राजनेताओं, अफसरों और छुटभैय्ये पत्रकारों का यह कथित पत्रकार किसी मसीहा से कम नहीं था। राजनेताओं और अफसरों से मिलीभगत का फायदा उठाते-उठाते यह स्वघोषित पत्रकार बेलगाम होता गया। गजब देखिए कि जिन लोगों ने इसे पनाह ही उन्हीं के लिए यह भस्मासुर बन गया। लेकिन हालात और समय एक जैसे नहीं होते आज यह कथित पत्रकार अपने गर्दिश के दिनों को जीने के लिए मजबूर हो चला है।

खबर है कि उमेश जे कुमार पर लगातार पबंदियों लग रही है। हाल ही में उमेश जे कुमार से विशेष सुरक्षा हटा दी गई थी। लेकिन इसके साथ ही जिस भाजपा ने इसे उत्तराखंड में कांग्रेस सरकार को गिराने के लिए तैयार किया था उसी भाजपा के राष्ट्रीय मुख्यालय में इसके आने पर पाबंदी लगा दी गई है, हालांकि प्रदेश भाजपा का यह कभी दुलारा जरूर रहा लेकिन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसे छठी का दूध पिला कर पहले ही चलता कर दिया था। इतना ही नहीं खबर यह भी है कि उसकी कारगुजारियों को देखते हुए इसे समाचार प्लस चैनल से भी बाहर का रास्ता दिखाया जाने वाला है। जिसकी आड़ में इसने कई गुनाहों को अंजाम दिया।

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साल 2002 के आस-पास एक पुराने खटारा स्कूटर पर देहरादून की गलियों में खाक छानने वाला उमेश जे कुमार रातों-रात अरबों की संपत्ति का मालिक बन गया। स्टिंग आपरेशनों के बल पर राजनेताओं और अफसरों को धमकाने वाला यह कथित पत्रकार इतना बाहुबली हो गया कि इसकी पहुंच अमित शाह तक हो गई। जिससे भाजपा के कई नेता इसके सामने जी हुजूरी करने लगे। फिर क्या था। उसने अरबों रुपये की संपत्ति उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि उत्तराखंड के बाहर भी बनाने में कामयाबी पाई।

आपराधिक रिकार्ड

उसकी आपराधिक प्रवृत्ति का ही नतीजा है कि उत्तराखंड की हर सरकार में उसके खिलाफ मुकदमे दर्ज हुए। वर्ष 2005 में तिवारी सरकार, 2007 में खंडूड़ी सरकार, 2010 और 2011 में निशंक सरकार, 2012 व 2013 में बहुगुणा सरकार और 2015 में हरीश रावत सरकार व 2017 में त्रिवेंद्र सरकार ने उसके खिलाफ 13 मुकदमे दर्ज हुए। इस व्यक्ति का यदि मुकदमों का रिकार्ड निकालकर देखा जाए तो यह एक बहुत बड़ा हिस्ट्रीशीटर है। उसके खिलाफ जमीन की खरीद फरोख्त में धांधली, जान से मारने की धमकी, जातिसूचक शब्दों का प्रयोग और मारपीट, फर्जी दस्तावेज के संबंध में, सूचना तकनीकी दुरुपयोग के संबंध में, बंदूक लाइसेंस जमा न करने एवं फर्जी दस्तावेज के आधार पर गड़बड़ियां दर्ज करने के मुकदमे दर्ज हैं।
इसके खिलाफ जो धारायें लगाई गईं उनमें आईपीसी की धारा 384, 506-1, 469, 452, 323, 504, 506, 25-1बी, 25-4, 420, 467, 468, 471, 120-बी, 17-3, 392, 3-1 एससी/एसटी एक्ट के तहत मुकदमे दर्ज किये गये हैं। उमेश शर्मा के खिलाफ सबसे ज्यादा मुकदमे वर्ष 2011 में दर्ज हुए थे। उमेश की राजनीतिक पहुंच का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसके खिलाफ कई मुकदमे तो सरकारों ने ही वापस करा दिये।

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अपने आप को बड़ा पत्रकार बताने वाले उमेश जे कुमार की नारायण दत्त तिवारी के दरबार में उसकी सीधी पहुंच थी। वर्ष 2007 में मेजर जनरल बीसी खंडूड़ी की सरकार में उसने अच्छी खासी दखलंदाजी शुरू कर दी थी। वर्ष 2010 में डाॅ. रमेश पोखरियाल निशंक के मुख्यमंत्री बनने के बाद इसने वहां भी घुसपैठ कर ली। निशंक के समय वह उल्टे पुल्टे काम कराने की जुगत में था, लेकिन निशंक उसकी फितरत को समझ गये और उसको डपटकर भगा दिया। इसके बाद निशंक के कार्यकाल में इसके खिलाफ केस दर्ज हुए और गैरजमानती वारंट तक जारी हुआ। इसके बावजूद उमेश शर्मा को तब दिल्ली में बैठे कुछ भाजपा नेताओं ने सुरक्षा कवच देकर बचा लिया।

वह इतना शातिर दिमाग है कि जब वह दिल्ली से यहां आया तो उसने खुद को दिल्ली दैनिक जागरण के पाॅलिटिकल ब्यूरो का वरिष्ठ संवाददाता बताया। जिससे वह नेताओं के पास बेरोकटोक आने जाने लगा। यह इतना शातिर है कि इन वर्षों में उसने अकूत संपत्ति बना ली है। उसकी कुछ संपत्तियों का ब्योरा इस प्रकार है। देहरादून के सबसे महंगे इलाकों में उमेश कुमार की अरबों की संपत्ति है इसमें करोड़ों के की बड़े भूखंड, फार्म हाॅउस और विलाज शामिल हैं। इनमे से कुछ सम्पत्ति उमेश कुमार ने रिश्तेदारों और अपनी पत्नी के नाम भी करा रखी है। सूत्रों के अनुसार उमेश कुमार की करोड़ों की ज्यादातर जमीनें अग्रवाल स्टोन क्रशर फार्म के नाम पर हैं।

  1. एटीएस एडवांटेज इंदिरापुरम गाजियाबाद के टावर नंबर 19 में बहुत महंगा फ्लैट
  2. फुलसैनी में 50 बीघा जमीन। यह जमीन उसने मधु गुप्ता से ली।
  3. देहरादून में सहत्रधारा पुल के पास 12 बीघा जमीन ( मधु और उमेश गुप्ता के संयुक्त नाम से)
  4. नोएडा सेक्टर 72 में 500 गज का प्लॉट।
  5. अमरोहा में 35 बीघा जमीन और फार्महाउस।
  6. दिल्ली के चाणक्यपुरी में पेट्रोल पम्प (वंशी लाल नाम से)
  7. दिल्ली उप्पल टावर आईटी पार्क में 1600 गज का प्लाट।
  8. विस्परिंग विलो में पत्नी के नाम महंगा फ्लैट ।
  9. रायपुर के मन्दाकिनी विहार में मंहगा मकान।
  10. राजपुर के जंगल-मंगल क्षेत्र में करोड़ों की दो विलाज निर्माणाधीन।

इनके अलावा भी वह कई काले कारोबारों में शामिल बताया जा रहा है। कई खनन माफिया और स्टोन क्रशर संचालकों के साथ उमेश कुमार की गुप्त पार्टनरशिप बताई जा रही है। इनसे रोजाना उमेश कुमार की लाखों की कमाई बताई जा रही है। ऐसे दर्जनों स्टोन क्रशर यूपी और उत्तराखंड के बार्डर पर संचालित हो रहे हैं।


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